Table of Contents How do I get rid of psoriasis fast
आज हम बात करेंगे सोराइसिस की और जानेंगे कि कैसे इस बीमारी को कम समय में ही तेजी से खत्म किया जा सकता है। सोराइसिस हमारी त्वचा से संबंधित एक बहुत ही गंभीर बीमारी है जो की हमारे शरीर में किसी भी जगह पर हो सकती है और एक ही व्यक्ति की बॉडी पर यह एक से अधिक अंगो पर भी फैल सकती है। यह एक समय के साथ साथ बढ़ते जाने वाली बीमारी है इसलिए इसमें शुरुआती स्टेज पर ही ध्यान देना बहुत जरुरी होता है क्योंकि इस बीमारी में लापरवाही बरतने से त्वचा से एक साधारण पपड़ी निकलने वाली समस्या का एक बहुत ही गंभीर रूप धारण कर लेती है। हमें पता भी नहीं चलता और फिर खुजली के साथ साथ जलन और खून निकलने की प्रॉब्लम भी होना शुरू हो जाती है। वैसे तो सोराइसिस छूने से बिल्कुल नहीं फैलता है लेकिन कई स्थितियों में यह जेनेटिक यानि की पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली बीमारी भी होती है। यानिकी अगर आपके परिवार में पहले से किसी को सोराइसिस की समस्या हो चुकी है तो आपको भी यह होने के बहुत अधिक चांस होते हैं।
सोराइसिस एक ऑटो इम्यून डिजीज है जो कि शरीर के इम्यून सिस्टम के गलत बर्ताव करने के कारण होती है। हमारे शरीर पर हर 30 दिन में पुरानी त्वचा हट कर एक नई त्वचा की परत चढ़ जाती है। लेकिन सोरायसिस होने पर यह समय घटकर बहुत कम हो जाता है। जिन जगहों पर यह बीमारी होती है उन जगहों पर कम समय में ही जल्दी जल्दी स्किन बनना शुरू हो जाती है और लगातार उस जगह की त्वचा मोटी होकर पपड़ी में बदलती रहती है। यह बीमारी बाहरी, अंदरूनी और दिमागी तीनों कारणों से होती है। इसलिए इसे जड़ से खत्म करने के लिए बाहर के साथ साथ अंदर से भी इलाज करना बहुत जरुरी होता है। साथ ही अपनी रोज़ाना खान पान में कुछ परहेज और सावधानी बरतने की भी जरूरत होती है। क्योंकि इस तरह की कोई भी ऑटोइम्यून बीमारी मात्र कुछ लगा लेने से पूरी तरह ठीक हो जाए ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है। इसलिए आज के इस विडियो में मैं आपको बताऊंगा कुछ बहुत ही आसान और असरदार घरेलू नुस्खे जिनके रोज़ाना इस्तमाल से सोराइसिस की समस्या कम समय में ही तेजी से खत्म होती हुई नज़र आएगी और साथ ही हम जानेंगे कुछ बहुत ही आवश्यक सावधानियों के बारे में जोकि सोराइसिस होने पर ध्यान रखना बहुत जरुरी होती है। तो चलिए बात करते हैं कुछ लगाने वाले नुस्खों की।
नुस्खा 1
इसमें जो पहला नुस्खा है उसे बनाने के लिए हमें जरूरत होगी नीम के पत्ते, एलोवेरा जैल, हल्दी, कपूर और मैरीगोल्ड याने की गेंदे के फूल की। गेंदे का फूल हर तरह के जख्मों और त्वचा के रोगों से लड़ने में बहुत ही कारगर होता है। इसके फायदे इतने अद्भुत है कि इसका नाम दुनिया में मौजूद सबसे असरदार औषधियों की श्रेणी में आता है। इसके अंदर बहुत अधिक मात्रा में एंटीसेप्टिक प्रोपर्टीज पाई जाती है जो कि त्वचा में आई किसी भी तरह की फंगस या इन्फेक्शन पर तुरंत असर दिखाती है। जैसा की हम सभी जानते हैं डायबिटीज या शुगर के मरीज को जब चोट लग जाती है तो उनके जख्म बहुत धीरे धीरे ठीक होते हैं। लेकिन गेंदे के फूल के इस्तमाल से डायबिटीज के मरीजों को होने वाले जख्मों को भी तेजी से ठीक किया जा सकता है। इन सारी ही चीजों को मिलाकर हमें एक तेल तैयार करना है जिसके लिए हमें दो बेस आयल की जरूरत होगी। सोराइसिस को जल्दी ठीक करने के लिए तिल का तेल और नारियल का तेल यह दोनों ही बहुत अधिक उपयोगी होते हैं। तिल का इस्तमाल लगभग 30 से 40% आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है।
अलग अलग बीमारियों में इसको अलग अलग तरीके से यूज़ किया जाता है और खासकर जख्मों और त्वचा के रोगों में तिल के तेल से चमत्कारी परिणाम प्राप्त होते हैं। इसे बनाने के लिए सबसे पहले 100 एमएल तिल के तेल में 100 एमएल नारियल का तेल मिला कर इसे गैस पर कम आंच पर गर्म करें। उसके बाद इसमें 25 ग्राम यानि की आधा कप नीम के पत्ते, 25 ग्राम ही ताजा एलोवेरा जेल और 50 ग्राम यानि कि एक कप गेंदे के फूल मिलाएं। गेंदे के फूल डालते समय ध्यान रहे कि हमें इसमें केवल इसकी पत्तियों का ही इस्तमाल करना है। इसके नीचे वाले हरे हिस्से का इस्तमाल नहीं करना है। उसके बाद सारी चीजों को तेल में 5 से 10 मिनिट तक मध्यम आंच पर पकाएं। जब आप यह सारी चीजें तेल में मिक्स करेंगे तब सामग्री की मात्रा तेल से अधिक लगेगी। लेकिन धीरे धीरे जब आप इसे पकाते जाएंगे तब यह सारी चीजें तेल में जलने लगेगी और सामग्री में से तेल सेपरेट होने लगेगा। 5 से 10 मिनिट बाद गैस को बंद कर दें और फिर इस तेल को 2 से 3 मिनिट के लिए ठंडा होने दें। जब यह तेल हल्का गरम रह जाए तब इसमें एक टेबल स्पून हल्दी और दो चुटकी कपूर मिलाएं। कपूर इसमें हमें शुद्ध वाला ही इस्तमाल करना है जो पूजा में इस्तमाल किया जाता है। इसके बाद इस तेल को पूरी तरह ठंडा होने दे और ठंडा होने के बाद इसे छान कर किसी कांच के बर्तन में भरकर रख ले। इस तरह से यह नुस्खा तैयार हो जाएगा। जब भी त्वचा से सम्बंधित किसी गंभीर बीमारी का इलाज करने की बात आती है तब नीम का इस्तमाल होता ही है। यह सोराइसिस के अलावा पिम्पल, एक्जिमा, दाद और मस्सों के लिए बहुत उपयोगी होता है।
इसके अलावा नारियल का तेल सोरायसिस के कारण आई त्वचा के सूखेपन को दूर करने के साथ साथ जलन और जख्मों को भी तेजी से ठीक करता है। इस तेल को रोज़ाना रात में कॉटन की सहायता से केवल उन जगहों पर लगाएं जहाँ पर आपको यह प्रॉब्लम है तेल लगाने के बाद उस जगह कपड़े की सहायता से कवर कर लें और रात भर उसी जगह पर लगा रहने दें। रोजाना इसका इस्तेमाल करते रहने से समय के साथ साथ आप नोटिस करेंगे कि सोराइसिस की प्रॉब्लम धीरे धीरे कम होती जाएगी। लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए इसके साथ कुछ दूसरे नुस्खों का इस्तमाल करना भी बहुत जरुरी है। इस तैयार तेल का इस्तमाल बालों में भी किया जा सकता है और साथ ही जिन लोगों को दाद, एग्जिमा और मस्सों की समस्या है वो लोग भी इसे यूज कर सकते हैं।
इसके अलावा काऊ यूरीन यानि की गोमूत्र सोराइसिस की बीमारी में चमत्कारी रूप से फायदेमंद होता है। त्वचा से संबंधित गंभीर से गंभीर बीमारियों में गोमूत्र एक वरदान की तरह है। इसका इस्तमाल मुख्यतः भारत में ज्यादा किया जाता है। लेकिन इसके इतने अधिक फायदे होने के कारण काफ़ी समय से कई तरह की दवाइयों में भी इसका इस्तमाल होता आ रहा है। गोमूत्र का भी इस्तमाल एग्जीमा, दाद, खुजली, रैशेस और त्वचा में किसी भी तरह की फंगस या सड़न और ल्यूकोडर्मा जैसी बीमारी को ठीक करने के लिए किया जाता है। अगर आप ताजा का यूरीन अरेंज नहीं कर पाते हैं तो उसकी जगह आप गोमूत्र अर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। गोमूत्र अर्क आपको किसी भी आयुर्वेदिक स्टोर पर आसानी से मिल जाएगा और अगर आप चाहें तो इसे औनलाइन भी खरीद सकते हैं। लेकिन अगर आप ताजा काऊ यूरीन अरेंज कर लेते हैं तो इसका इस्तमाल करते समय ध्यान रहे कि यह देसी गाय का ही होना चाहिए। या फिर जो गाय सिर्फ चारा या सब्जियां खाती हो और सेहत में पूरी तरह स्वस्थ हो उसका ही होना चाहिए। शहर में घूमने वाली गायों का मूत्र इतना ज्यादा फायदेमंद नहीं होता है और अशुद्ध चीजों को खाने की वजह से उनके यूरीन में बैक्टीरिया होने के भी बहुत अधिक चांस होते हैं। अपने नजदीकी दूध बेचने वाले लोगों की मदद से देसी गाय का यूरिन प्राप्त करना आसान हो जाता है। एक बार गाय का ताजा मूत्र मिल जाने पर इसका 7 से 8 दिन तक इस्तमाल किया जा सकता है।
नुस्खा 2
इसके बाद अगले नुस्खे को बनाने के लिए हमें ज़रूरत होगी हल्दी, गेंदे का फूल और गोमूत्र की। इस नुस्खे को भी तैयार करने के लिए सबसे पहले गेंदे के फूलों को अच्छी तरह धो कर उनकी पत्तियाँ अलग कर लें। फिर इनकी पत्तियों को हल्दी और गोमूत्र के साथ अच्छी तरह पीसकर इसका एक पेस्ट तैयार कर लें। इस तैयार पेस्ट को सोराइसिस से अफेक्टेड स्किन पर लेप की तरह लगाएं। अगर आप इसे दिन के समय लगाते हैं तो इसे ऐसे टाइम पर ही लगाएं जब इसके इस्तमाल के बाद इसे ज्यादा से ज्यादा देर के लिए लगा के रखा जा सके। और जब भी आप इसे धोएं तो धोने के बाद इसपर पहले बनाया गया घरेलू तेल या फिर नारियल का तेल भी लगा सकते हैं। दोस्तों यह दोनों ही नुस्के इतने ज्यादा असरदार है कि लगातार एक महीने तक इनका इस्तमाल करने से आपको सोराइसिस की प्रॉब्लम में कमाल के परिणाम प्राप्त होंगे और साथ ही इन दोनों ही नुस्खों को एक्जीमा, दाद और खुजली की समस्या होने पर भी इस्तमाल किया जा सकता है। इसलिए इन नुस्खों में बताई गई सभी सामग्री को अरेंज करने की कोशिश करें।
सोरायसिस की बीमारी जब गंभीर हो जाती है तो इसकी वजह से हमारे शरीर में वीकनेस आ जाती है और साथ ही हमारी हड्डियां भी कमजोर पड़ने लगती है। क्योंकि लगातार त्वचा सूखकर झड़ते रहने से हमारी बॉडी से प्रोटीन तेजी से कम होने लगता है और चूंकि यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है इसलिए इसको जड़ से खत्म करने के लिए बाहर के अलावा अंदर से भी इसका इलाज करना जरुरी है। इसलिए सोरायसिस की बीमारी पर आगे मैं आपको बताऊंगा कुछ ऐसे ही बहुत असरदार खाये जाने वाले नुस्खे जो कि इस बीमारी की जड़ तक पहुच कर उसे पूरी तरह खत्म करने में बहुत ज्यादा कारगर है। और अगर आज के बताये गए नुस्खों के साथ साथ उन खाने वाले नुस्खों का भी सेवन किया जाये तो चाहे कितना ही पुराना सोराइसिस क्यों ना हो उसे आप कम समय में ही हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर पाएंगे।
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