admin – Health Darbar https://healthdarbar.com Health is Wealth Thu, 17 Apr 2025 08:22:15 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8 https://healthdarbar.com/wp-content/uploads/2023/07/cropped-HealthDarbar-32x32.png admin – Health Darbar https://healthdarbar.com 32 32 Silent Heart Attack Hidden but Deadly Threat | जानिए यह खामोश खतरा और 100% बचाव के गारंटीड उपाय https://healthdarbar.com/silent-heart-attack/ https://healthdarbar.com/silent-heart-attack/#respond Thu, 17 Apr 2025 08:22:10 +0000 https://healthdarbar.com/?p=4816

क्या है साइलेंट हार्ट अटैक?

Silent Heart Attack (Silent Myocardial Infarction) वह दिल का दौरा होता है जिसमें सामान्य लक्षण जैसे सीने में तेज दर्द नहीं होते। यह बिना किसी चेतावनी के होता है और अक्सर व्यक्ति को इसका पता भी नहीं चलता।


क्यों होता है साइलेंट हार्ट अटैक?

इसके मुख्य कारण वही हैं जो सामान्य हार्ट अटैक के होते हैं – जैसे:

  • कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज
  • हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल
  • डायबिटीज
  • मोटापा
  • धूम्रपान और शराब
  • शारीरिक निष्क्रियता
  • तनाव और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली

लक्षण जो नजरअंदाज न करें

  • हल्का सीने में दबाव या बेचैनी
  • थकान या कमजोरी
  • सांस लेने में दिक्कत
  • ठंडा पसीना
  • जी मिचलाना या चक्कर आना
  • गर्दन, पीठ या जबड़े में हल्का दर्द

किन्हें है ज्यादा खतरा?

  • वृद्ध लोग
  • डायबिटीज पेशेंट
  • हाई बीपी या कोलेस्ट्रॉल वाले लोग
  • जिनके परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो

साइलेंट हार्ट अटैक की पहचान कैसे करें?

अक्सर यह ECG, इकोकार्डियोग्राम या ब्लड टेस्ट के ज़रिए नियमित जांच के दौरान सामने आता है।


साइलेंट हार्ट अटैक से बचाव कैसे करें?

  • स्वस्थ आहार लें: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और हेल्दी फैट्स को शामिल करें।
  • नियमित व्यायाम करें: सप्ताह में कम से कम 150 मिनट फिजिकल एक्टिविटी करें।
  • धूम्रपान और शराब से बचें
  • तनाव कम करें: योग और ध्यान अपनाएं
  • स्वास्थ्य जांच करवाएं: ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच जरूरी है।

सीपीआर (CPR) की भूमिका

हार्ट अटैक की स्थिति में तुरंत CPR देना जरूरी होता है। इसमें छाती पर कंप्रेशन और मुँह से साँस देकर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।


इलाज के विकल्प

  • दवाइयां: ब्लड थिनर, बीटा-ब्लॉकर्स, कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाइयां
  • एंजियोप्लास्टी/स्टेंटिंग
  • बाईपास सर्जरी (CABG)
  • जीवनशैली में बदलाव

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1: साइलेंट हार्ट अटैक क्या है?
A: ऐसा हार्ट अटैक जिसमें कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते।

Q2: लक्षण क्या हैं?
A: हल्का सीने में दबाव, थकावट, सांस लेने में दिक्कत, पीठ या जबड़े में हल्का दर्द।

Q3: कैसे पता चलेगा?
A: ECG, इकोकार्डियोग्राम, और ब्लड टेस्ट से।

Q4: क्या करें साइलेंट हार्ट अटैक के बाद?
A: दवाइयां लें, जीवनशैली सुधारें, नियमित जांच करवाएं।

Q5: कैसे रोकें?
A: हेल्दी डाइट, व्यायाम, तनाव कम करना और नियमित मेडिकल चेकअप से।


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Mushrooms: A Powerful Blessing for Your Health : इन 10 बीमारियों से बचाए https://healthdarbar.com/mushrooms/ https://healthdarbar.com/mushrooms/#respond Thu, 17 Apr 2025 07:21:31 +0000 https://healthdarbar.com/?p=4809

Mushrooms: A Powerful Blessing

Mushrooms एक ऐसा नेचुरल सुपरफूड है, जो कई जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। ये न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। बहुत से लोग इसे हेल्दी डाइट के रूप में अपनी थाली में शामिल करते हैं। हालांकि कुछ लोग मशरूम की अजीब बनावट के कारण इसे खाने से कतराते हैं।
मशरूम पर काम करने वाली संस्था ‘द मशरूम World’ के मुताबिक, इसमें विटामिन D, फाइबर, प्रोटीन समेत कई जरूरी मिनरल्स और सेलेनियम, ग्लूटाथियोन व एर्गोथायोनीन जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। ये न्यूट्रिएंट्स इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने, हार्ट को हेल्दी रखने और पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसके अलावा मशरूम में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह वजन घटाने में भी मददगार है।

इसलिए आज Fitness Secret में हम मशरूम के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

मशरूम को अपनी डाइट में शामिल करने के क्या फायदे हैं?

मशरूम किन लोगों को नहीं खाना चाहिए?

स्टोरी में आगे बढ़ें, उससे पहले आइए मशरूम से जुड़े एक मिथ की सच्चाई जान लेते हैं।

मशरूम से जुड़ा मिथक और उसकी सच्चाई

दरअसल मशरूम को ‘कुकुरमुत्ता’ नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है ‘कुत्तों के टॉयलेट वाली जगह पर पैदा होने वाला।’ लेकिन यह सच नहीं है। इसका कुत्तों से कोई लेना-देना नहीं है।

मशरूम एक प्रकार का फंगस है, जो अक्सर बारिश के दिनों में नमी में पनपता है। हालांकि ऐसे मशरूम को खाया नहीं जाता है। मशरूम की कई प्रजातियां होती हैं। इसमें से कुछ ही खाने लायक होती हैं, जो कि बाजारों में आसानी से मिलते हैं। आमतौर पर खाने वाले मशरूम की खेती की जाती है।

यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के मुताबिक, मशरूम जरूरी पोषक तत्वों का ‘खजाना’ है। इसमें सेलेनियम, ग्लूटाथियोन और विटामिन E जैसे कई तरह के एंटीऑक्सिडेंट्स मौजूद होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, मशरूम में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-कैंसर गुण भी पाए जाते हैं, जो शरीर को गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं।

अगर बात करें 100 ग्राम मशरूम की न्यूट्रिशनल वैल्यू की, तो इसमें लगभग 3.09 ग्राम प्रोटीन, 3.28 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1 ग्राम फाइबर, 3 मिलीग्राम कैल्शियम, 318 मिलीग्राम पोटेशियम और 5 मिलीग्राम सोडियम पाया जाता है। इन पोषक तत्वों की उपस्थिति इसे एक हेल्दी डाइट का बेहतरीन हिस्सा बनाती है।

‘द मशरूम वर्ल्ड’ के अनुसार, मशरूम में मौजूद फाइबर, पोटेशियम और एंटीऑक्सिडेंट्स ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और दिल को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही, मशरूम सेलेनियम, विटामिन D और विटामिन B6 का अच्छा स्रोत है। सेलेनियम शरीर में सेल डैमेज को रोकने में सहायक होता है, विटामिन D हड्डियों को मजबूत करता है और सेल ग्रोथ में योगदान देता है, जबकि विटामिन B6 शरीर में रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में मदद करता है। ये सभी पोषक तत्व मिलकर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।

Mushrooms: A Powerful Blessing

मशरूम में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए रखने में मदद करता है और इसके एंटीबैक्टीरियल गुण शरीर को इन्फेक्शन से बचाते हैं। यह न केवल शरीर को बीमारियों से दूर रखता है, बल्कि पाचन को भी बेहतर बनाता है।

Mushrooms: A Powerful Blessing

मशरूम के नियमित सेवन से कई फायदे मिलते हैं। यह इम्यूनिटी बढ़ाता है, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और वजन घटाने में मदद करता है। इसके अलावा यह दिल की सेहत को सुधारता है, पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और हड्डियों को मजबूत करता है। यह ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है, गट बैक्टीरिया को संतुलित रखता है, दिमाग की सेहत को बढ़ावा देता है और कैंसर के खतरे को भी कम करता है।

हालांकि, मशरूम का अधिक सेवन नुकसानदायक भी हो सकता है। इसमें मौजूद अधिक फाइबर से कुछ लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ लोगों को मशरूम से एलर्जी हो सकती है, जिससे उन्हें स्किन रैशेज, खुजली या सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसमें पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जो किडनी के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकती है। इसके अलावा, यदि मशरूम को ठीक से पकाया न जाए या गलती से जहरीले जंगली मशरूम का सेवन कर लिया जाए, तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए हमेशा ताजा, सुरक्षित और सही प्रकार के मशरूम का चयन करना जरूरी है।

Mushrooms: A Powerful Blessing


क्या डायबिटिक लोग भी मशरूम खा सकते हैं?

हाँ, मशरूम डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है। यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। लेकिन इसका सेवन कम तेल और कम मिर्च-मसाले में पकाकर ही करना चाहिए, ताकि यह और अधिक हेल्दी बना रहे।


क्या मशरूम वजन घटाने में मदद करता है?

मशरूम वजन घटाने में सहायक हो सकता है क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है जबकि फाइबर और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते हैं। यह पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे बार-बार भूख नहीं लगती और ओवरइटिंग से बचाव होता है।


मशरूम को अपनी डाइट में कैसे शामिल किया जा सकता है?

मशरूम को सब्जी बनाकर, हल्का भूनकर या तलकर खाया जा सकता है। ध्यान रखें कि कच्चा मशरूम खाने से पाचन संबंधित समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए इसे हमेशा अच्छी तरह पका कर ही खाना चाहिए। इसके अलावा मशरूम को सूप, करी, सैंडविच, पास्ता और पिज्जा में भी शामिल किया जा सकता है।


एक दिन में कितना मशरूम खाना चाहिए?

एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 50-60 ग्राम मशरूम का सेवन सुरक्षित माना जाता है। इससे अधिक मात्रा में मशरूम खाना नुकसानदायक हो सकता है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जिन्हें पाचन या किडनी से संबंधित समस्या हो।


सही मशरूम का चयन कैसे करें?

सही मशरूम का चयन करना बहुत जरूरी है क्योंकि सभी प्रकार के मशरूम खाने योग्य नहीं होते। ताजे और सुरक्षित मशरूम की पहचान इस तरह करें:

  • मशरूम का रंग सफेद या हल्का भूरा और ताजा दिखना चाहिए।
  • सूखा, बदरंग या फीका रंग वाला मशरूम न खरीदें।
  • जिन मशरूम पर काले दाग, मोल्ड या गीलापन दिखे, उन्हें न लें।
  • मशरूम हमेशा किसी भरोसेमंद दुकान या ब्रांड से ही खरीदें।
  • पैकेज्ड मशरूम को प्राथमिकता दें क्योंकि वे ताजे और साफ होते हैं।

Mushrooms: A Powerful Blessing

मशरूम किन्हें नहीं खाना चाहिए?

हालाँकि मशरूम पौष्टिक होता है, लेकिन कुछ लोगों को इससे परहेज़ करना चाहिए। गर्भवती महिलाएं, किडनी या लिवर की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति, और हाल ही में सर्जरी से गुजरे लोग बिना डॉक्टर की सलाह के मशरूम न खाएं। इसके अलावा जिन्हें मशरूम से एलर्जी है या छोटे बच्चे हैं, उन्हें भी मशरूम से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

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6 Shocking Truth: Good Fat vs. Bad Fat What You Must Know: जानें सेहतमंद तेल कौन सा https://healthdarbar.com/good-fat-vs-bad-fat/ https://healthdarbar.com/good-fat-vs-bad-fat/#respond Tue, 15 Apr 2025 10:37:44 +0000 https://healthdarbar.com/?p=4798

गुड फैट, बैड फैट में क्या फर्क है:किन चीजों में होता बैड फैट, डॉक्टर से जानें अच्छी सेहत के लिए कौन सा तेल खाए

पूरी दुनिया में मोटापा एक बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। इससे कई खतरनातक बीमारियों का जोखिम भी बढ़ रहा है। अगर हम अपने खाने में एडिबल ऑयल का इस्तेमाल सिर्फ 10% कम कर दें तो न सिर्फ ओबिसिटी का रिस्क कम हो जाएगा, बल्कि हार्ट हेल्थ और डाइजेस्टिव हेल्थ में सुधार भी होगा। पिछले दिनों पीएम मोदी ने भी ये बात कही थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, ओबिसिटी एपिडेमिक बन गई है, यानी ऐसी बीमारी जो दुनिया में बहुत तेजी से फैल रही है। इसके कारण हुई बीमारियों से पूरी दुनिया में हर साल 28 लाख वयस्कों की मौत हो रही है।

ओबिसिटी की वजह सिर्फ ऑयल या फैट नहीं है। यहां तक कि फैट तो शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। समस्या खराब फैट से है, यानी जो फैट रिफाइंड कार्ब्स, शुगर और एडिबल ऑयल से मिल रहा है।

इसलिए आज Fitness Secret में अच्छे और खराब फैट की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

गुड फैट और बैड फैट में क्या अंतर है?

किन चीजों को खाने से अच्छा फैट मिलता है?

किन चीजों से शरीर में खराब फैट बढ़ सकता है?

मोटापे के आंकड़े चिंताजनक

Good Fat vs. Bad Fat

WHO के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में हर 8 में से एक व्यक्ति मोटापे से परेशान है और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। बच्चों में भी मोटापे का खतरा 4 गुना बढ़ चुका है। साल 2022 में पूरी दुनिया में लगभग 250 करोड़ लोग मोटापे की समस्या से जूझ रहे थे। उन्होंने कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है।

गुड फैट सेहत के लिए जरूरी

Good Fat vs. Bad Fat

अगर आप भी सोचते हैं कि फैट सेहत के लिए नुकसानदायक होता है, तो यह पूरी तरह सच नहीं है। इसे आसान भाषा में ऐसे समझिए कि तो फैट दो तरह के होते हैं- गुड फैट और बैड फैट। गुड फैट सेहत के लिए जरूरी होता है, जबकि बैड फैट कई बीमारियों की वजह बन सकता है।

गुड फैट से शरीर को जरूरी एनर्जी मिलती है, दिल स्वस्थ रहता है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL) बढ़ता है। इससे सेहत को कई अन्य फायदे भी होते हैं-

ब्रेन फंक्शनिंग बेहतर होती है।

स्किन और बालों की सेहत सुधरती है।

पाचन तंत्र और इम्यूनिटी मजबूत होती है।

हार्ट डिजीज का जोखिम कम होता है।

वजन कंट्रोल में रहता है।

हड्डियां और जॉइंट्स मजबूत होते हैं।

बैड फैट से होती बीमारियां

Good Fat vs. Bad Fat

बैड फैट से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ता है और इससे हार्ट डिजीज समेत कई बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।

स्किन और बालों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

वजन और मोटापा बढ़ सकता है।

बालों से जुड़ी समस्या हो सकती है।

स्किन डिजीज हो सकती है।

हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है।

हार्ट डिजीज हो सकती हैं।

डायबिटीज हो सकती है।

फैटी लिवर हो सकता है।

कैंसर हो सकता है।

गुड फैट के लिए क्या खाएं?

Good Fat vs. Bad Fat

अगर आप सेहतमंद रहना चाहते हैं तो डाइट में गुड फैट शामिल करना बहुत जरूरी है। आमतौर पर ड्राई फ्रूट्स और सीड्स से मिला फैट सबसे अच्छा फैट होता है। गुड फैट के लिए ये चीजें खा सकते हैं-

बादाम: दिल और दिमाग के लिए फायदेमंद।

मूंगफली: हार्ट डिजीज और डायबिटीज में फायदेमंद।

अखरोट: स्किन और हड्डियों के लिए फायदेमंद।

सनफ्लावर सीड्स: इम्यूनिटी बूस्टर है।

चिया सीड्स: स्किन और डाइजेशन के लिए फायदेमंद।

अलसी के बीज: हार्ट और ब्रेन हेल्थ के लिए फायदेमंद।

नारियल तेल: पाचन और स्किन के लिए फायदेमंद।

सरसों का तेल: दिल और हड्डियों के लिए फायदेमंद।

इसके अलावा अगर सीमित मात्रा में दूध, दही, पनीर और घी खाया जाए तो वह भी फायदेमंद है।

किन चीजों से मिलता है बैड फैट?

Good Fat vs. Bad Fat

हर वो चीज जो पैकेट में बंद है और तुरंत खोलकर खाई जा सकती है, उसमें बैड फैट होता है। अगर आप भूख लगने पर चिप्स या कोई नमकीन खरीदकर का लेते हैं तो समझ लीजिए आप अपने शरीर को ढेर सारा बैड फैट दे रहे हैं और कई बीमारियों को बुलावा दे रहे हैं।

इनके अलावा बहुत तली-भुनी चीज, प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड में भी बैड फैट ही होता है। इनके कारण ही पूरी दुनिया में मोटापा इतनी तेजी से बढ़ रहा है। किन चीजों से शरीर में बैड फैट बढ़ता है, देखिए-

फ्रेंच फ्राइज, बर्गर और पिज्जा।

सभी सॉसेज और प्रोसेस्ड मीट।

पकौड़ा, समोसा और कचौड़ी।

केक, कुकीज, डोनट्स और पेस्ट्री।

चिप्स और नमकीन स्नैक्स।

कोल्ड ड्रिंक्स और पैक्ड जूस।

रिफाइंड तेल और बाजार का मक्खन।

प्रोसेस्ड चीज और वनस्पति घी।

आइसक्रीम और चॉकलेट्स।

गुड फैट और बैड फैट से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब

क्या सरसों का तेल खाना हेल्दी है?

Good Fat vs. Bad Fat

हां, सरसों का तेल खाना हेल्दी है, लेकिन जरूरी है कि इसे सही तरीके से और सीमित मात्रा में इस्तेमाल करें। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है और दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है। यह हार्ट हेल्थ, इम्यूनिटी और पाचन के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण भी होते हैं, जो संक्रमण से बचाते हैं।

क्या घी खाना हेल्दी है?

Good Fat vs. Bad Fat

हां, घी सेहत के लिए फायदेमंद है। इसके साथ भी वही शर्त है कि इसे सीमित मात्रा में खाएं। घी खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है, पाचन में सुधार होता है और ब्रेन फंक्शनिंग भी सुधरती है।

घी में ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड होते हैं, इससे हार्ट हेल्थ सुधरती है। इसमें विटामिन A, D, E और K होते हैं, जिससे हड्डियां और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। रोज 1-2 चम्मच यानी 10-15 ग्राम घी खाना फायदेमंद है।

क्या बार-बार एक ही तेल को गर्म करने से सेहत को नुकसान होता है?

हां, बार-बार एक ही तेल को गर्म करना बहुत नुकसानदायक हो सकता है। एक ही तेल को बार-बार गर्म करने से उसमें खतरनाक टॉक्सिन, ट्रांस फैट, हाइड्रोकार्बन और फ्री रेडिकल्स बनने लगते हैं, जो दिल, लिवर और पाचन तंत्र के लिए नुकसानदायक होते हैं। इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।

भोजन में कौन सा तेल इस्तेमाल करना चाहिए?

Good Fat vs. Bad Fat

भोजन बनाने में सही तेल इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है। इससे हमारा दिल और दिमाग सीधे प्रभावित होते हैं। इसके अलावा स्किन, बाल और हड्डियों को लिए भी जरूरी है। भोजन बनाने के लिए ये तेल इस्तेमाल कर सकते हैं-

सरसों का तेल

नारियल का तेल

मूंगफली का तेल

जैतून का का तेल

घी

ये तेल नहीं इस्तेमाल करने चाहिए-

रिफाइंड ऑयल

पाम ऑयल

वनस्पति घी

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Boost Your Lifespan by 7% with a Simple 10-Min Walk | लंबी उम्र का चौंकाने वाला राज https://healthdarbar.com/simple-10-min-walk/ https://healthdarbar.com/simple-10-min-walk/#respond Tue, 15 Apr 2025 09:19:56 +0000 https://healthdarbar.com/?p=4786

मेडिकल जर्नल JAMA इंटरनेशनल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, रोज सिर्फ 10 मिनट walk (टहलना) करने से कई साल लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ सकती है। इस स्टडी में पता चला है कि अगर कोई व्यक्ति रोज सिर्फ 10 मिनट की ब्रिस्क walk (तेज टहलना) करता है, तो प्रीमेच्योर मौत का जोखिम 7% तक कम हो सकता है। अगर वॉकिंग टाइम बढ़ाकर 20 मिनट कर दिया जाए, तो प्रीमेच्योर मौत का जोखिम 13% तक कम हो सकता है। वहीं, इसे बढ़ाकर 30 मिनट की वॉक कर दी जाए, तो प्रीमेच्योर मौत का जोखिम 17% तक कम हो सकता है। इसका मतलब है कि ब्रिस्क वॉक से प्रीमेच्योर मौत का जोखिम कम हो जाता है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक स्टडी के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन सिर्फ 30 मिनट की वॉक करता है, तो दिल की बीमारियों का खतरा 19% तक कम हो सकता है। वहीं, जर्मनी के प्रतिष्ठित हेल्थ रिसर्च सेंटर, रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट की एक स्टडी बताती है कि खाने के बाद की गई सिर्फ 15 मिनट की वॉक न केवल शरीर को सक्रिय रखती है, बल्कि दिमाग को भी तरोताज़ा कर देती है। इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है और टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम भी काफी हद तक घट जाता है।

कुल मिलाकर, नियमित वॉक करना न केवल फिजिकल हेल्थ के लिए फायदेमंद है, बल्कि मेंटल वेल-बीइंग के लिए भी एक बेहतरीन उपाय है।

इसीलिए ‘Fitness Secret’ के आज के सेगमेंट में हम बात करेंगे ब्रिस्क वॉक की – यानी तेज़ क़दमों से की गई वॉकिंग की।

किन लोगों को ब्रिस्क वॉक से बचना चाहिए?

वॉकिंग के लिए छोटे टारगेट सेट करें

इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. दीपक गुप्ता कहते हैं कि जब लोग फिजिकल फिटनेस के लिए प्लान बनाते हैं तो आमतौर पर बहुत बड़े टारगेट सेट करते हैं। इसके चलते वे इसे कुछ दिन तक ही फॉलो कर पाते हैं। इसलिए छोटे टारगेट रखें, ताकि इसे स्किप करने की नौबत न आए और नियमितता बनी रहेगी।

सिर्फ 10 मिनट टहलना भी फायदेमंद

डॉ. दीपक गुप्ता के मुताबिक, अगर आप रोज सुबह एक्सरसाइज के लिए आधे घंटे नहीं निकाल सकते हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। पूरे दिन में सिर्फ 10-15 मिनट की ब्रिस्क वॉक भी बहुत फायदेमंद है। इससे पाचन तंत्र में सुधार हो सकता है, मोटापा कम हो सकता है। इससे और क्या फायदे होते हैं

रोज़ सिर्फ 10 मिनट ब्रिस्क वॉक के फायदे – विस्तार से

1. मेटाबॉलिज्म तेज होता है

Simple 10-Min Walk

ब्रिस्क वॉक से शरीर की कैलोरी बर्न करने की क्षमता बढ़ती है। इससे शरीर में एनर्जी का उत्पादन तेज़ होता है, और खाना जल्दी पचता है। इसका मतलब है कि शरीर कम समय में ज्यादा कैलोरी खर्च करता है, जिससे मोटापा कंट्रोल में रहता है।

2. मोटापा कम होता है

Simple 10-Min Walk

नियमित तेज़ टहलने से फैट बर्निंग प्रोसेस तेज होता है। भले ही आप कम समय के लिए वॉक करें, लेकिन लगातार वॉक करने से बॉडी फैट कम होने लगता है और वज़न घटने में मदद मिलती है।

3. पाचन बेहतर होता है

Simple 10-Min Walk

खाने के बाद टहलना गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करता है। वॉकिंग से पाचन तंत्र सक्रिय होता है और खाना अच्छी तरह पचता है।

4. इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होता है

Simple 10-Min Walk

ब्रिस्क वॉक करने से शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति संवेदनशील बनती हैं। इसका मतलब है कि शरीर शुगर को बेहतर तरीके से प्रोसेस करता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क घटता है।

5. मूड बेहतर होता है

Simple 10-Min Walk

वॉकिंग से एंडॉरफिन (खुशी देने वाले हार्मोन) रिलीज होते हैं, जिससे मूड अच्छा होता है, स्ट्रेस कम होता है और दिनभर ऊर्जा बनी रहती है।

6. कॉग्निटिव हेल्थ सुधरती है

Simple 10-Min Walk

वॉकिंग से ब्रेन में ब्लड फ्लो बढ़ता है, जिससे याददाश्त, फोकस और सोचने की क्षमता में सुधार होता है। उम्र के साथ होने वाली ब्रेन हेल्थ समस्याओं का खतरा कम होता है।

7. नींद अच्छी आती है

Simple 10-Min Walk

दिन में की गई हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि जैसे ब्रिस्क वॉक से नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है। इससे रात में गहरी और सुकूनभरी नींद आती है।

बिजी लाइफस्टाइल से कुछ मिनट चुराएं

Simple 10-Min Walk

आजकल लोगों की जिंदगी इतनी व्यस्त है कि अपनी सेहत के लिए कुछ मिनट निकालना भी मुश्किल हो गया है। हालांकि, डॉ. दीपक गुप्ता कहते हैं कि अगर हम थोड़े एफर्ट्स करें तो अपने लिए कुछ मिनट निकालकर वॉक तो कर ही सकते हैं। इसमें कोई मेहनत नहीं लगती है और खर्च भी नहीं आता है।

ऐसे करें कुछ मिनट एक्स्ट्रा वॉक

फोन पर बात करते हुए बैठने की बजाय टहलें ।

एलिवेटर या लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों से चढ़ें।

हर एक घंटे में कुछ मिनट वॉक के लिए सीट से उठें।

गाड़ी कुछ दूर पार्क करें ताकि थोड़ा पैदल चल सकें।

भोजन के बाद कुछ देर पैदल जरूर चलें।

ब्रिस्क वॉक पर कुछ कॉमन सवाल और जवाब

सवाल: ब्रिस्क वॉक कितनी तेज होनी चाहिए?

जवाब: आमतौर पर 1 घंटे में 5-6 किलोमीटर की रफ्तार से चलना ब्रिस्क वॉक माना जाता है। इसे ऐसे समझिए कि अगर आप प्रति मिनट करीब 100 कदम चल रहे हैं तो ब्रिस्क वॉक के लिए आपकी स्पीड सही है।

सवाल: रोज कितनी देर ब्रिस्क वॉक करनी चाहिए?

जवाब: अच्छे स्वास्थ्य के लिए हफ्ते में कम-से-कम 120 मिनट ब्रिस्क वॉक करनी चाहिए। इसका मतलब है कि हफ्ते में कम-से-कम 5 दिन नियमित रूप से 24-25 मिनट ब्रिस्क वॉक करनी चाहिए। अगर वजन कम करना चाहते हैं तो आप थोड़े एक्स्ट्रा एफर्ट्स दे सकते हैं यानी पूरे दिन में 30-35 मिनट तक ब्रिस्क वॉक कर सकते हैं। अगर हेल्दी डाइट लें तो वजन कम करने में आसानी होगी। आपके पास समय नहीं है तो 10-15 की ब्रिस्क वॉक भी काफी है।

सवाल: ब्रिस्क वॉक सामान्य वॉक की अपेक्षा ज्यादा फायदेमंद क्यों है?

जवाब: सामान्य वॉक का मतलब है कि आप बिना किसी एफर्ट के आराम से चल रहे हैं। जबकि ब्रिस्क वॉक थोड़ी तेज होती है, इस दौरान लगभग पूरा शरीर हरकत में होता है। इससे हल्का पसीना आता है और दिल की धड़कन भी बढ़ती है। यह हार्ट बीट रेगुलेशन में भी मदद करता है।

सवाल: क्या ब्रिस्क वॉक से घुटनों में दर्द बढ़ सकता है?

जवाब: अगर टहलने की जगह ऊबड़-खाबड़ नहीं है और आपके घुटनों में पहले से कोई समस्या नहीं है तो कोई दिक्कत नहीं होती है। आमतौर पर घुटनों की समस्या में भी इससे राहत मिलती है। इसके बावजूद अगर घुटनों में दर्द है तो ब्रिस्क वॉक से पहले डॉक्टर से सलाह जरूरी है।

सवाल: ब्रिस्क वॉक का सही तरीका क्या है?

जवाब:

इस दौरान शरीर सीधा रखें और झुककर न चलें।

पूरी वॉक के दौरान कदमों की रफ्तार एक समान रखें।

बहुत लंबे स्ट्राइड न लें यानी बहुत लंबे डग न रखें।

इस दौरान हाथों का मूवमेंट जरूरी है, इससे स्पीड और बैलेंस बना रहता है।

गहरी सांस लें और इस दौरान नाक से सांस लेने की कोशिश करें।

सवाल: क्या ब्रिस्क वॉक जिम का विकल्प हो सकती है?

जवाब: हां, बिल्कुल हो सकती है। अगर कोई हैवी एक्सरसाइज नहीं करना चाहता है तो ब्रिस्क वॉक एक अच्छा विकल्प हो सकती है। यह एक अच्छी कार्डियो एक्सरसाइज है और इससे फिजिकल फिटनेस भी बनी रहती है।

सवाल: ब्रिस्क वॉक के लिए सही समय क्या है, सुबह या शाम?

जवाब: इसके लिए तो दिन में कोई भी समय सही है। हालांकि, सुबह ताजी हवा और कम प्रदूषण के कारण मॉर्निंग ब्रिस्क वॉक ज्यादा फायदेमंद है। अगर सुबह समय नहीं मिलता है तो शाम को भी वॉक पर जा सकते हैं।

सवाल: किन लोगों को ब्रिस्क वॉक से बचना चाहिए?

जवाब: ब्रिस्क वॉक ज्यादातर लोगों के लिए फायदेमंद होती है। हालांकि, कुछ खास कंडीशन में इससे बचना चाहिए या डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। इन सभी लोगों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही ब्रिस्क वॉक करनी चाहिए-

जिन लोगों को गंभीर हार्ट डिजीज है।

जिन्हें जोड़ों और घुटनों में गंभीर दर्द रहता है।

जिनका ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा रहता है।

जिनकी हाल ही में कोई सर्जरी हुई है।

जिन्हें अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) है।

जिनका शुगर लेवल बहुत कम या ज्यादा रहता है

जिन प्रेग्नेंट महिलाओं को कोई कॉम्प्लिकेशन है।

जिन्हें कोई गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या है।

तो दोस्तों ये थी हमारी एक इंट्रेस्टिंग वीडियो आशा करता हूं आपको यह वीडियो जरूर पसंद आई होगी इसीलिए प्लीज इसे लाइक करें, हमारे चैनल Fitness Secret को सब्सक्राइब जरूर करें और Visit on Health Darbar

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How do I get rid of psoriasis fast? सोराइसिस, दाद, एक्जिमा, को ठीक करने के 2 असरदार नुस्खे https://healthdarbar.com/how-do-i-get-rid-of-psoriasis-fast/ https://healthdarbar.com/how-do-i-get-rid-of-psoriasis-fast/#respond Fri, 11 Apr 2025 11:24:47 +0000 https://healthdarbar.com/?p=3119

Table of Contents How do I get rid of psoriasis fast

How do I get rid of psoriasis fast

आज हम बात करेंगे सोराइसिस की और जानेंगे कि कैसे इस बीमारी को कम समय में ही तेजी से खत्म किया जा सकता है। सोराइसिस हमारी त्वचा से संबंधित एक बहुत ही गंभीर बीमारी है जो की हमारे शरीर में किसी भी जगह पर हो सकती है और एक ही व्यक्ति की बॉडी पर यह एक से अधिक अंगो पर भी फैल सकती है। यह एक समय के साथ साथ बढ़ते जाने वाली बीमारी है इसलिए इसमें शुरुआती स्टेज पर ही ध्यान देना बहुत जरुरी होता है क्योंकि इस बीमारी में लापरवाही बरतने से त्वचा से एक साधारण पपड़ी निकलने वाली समस्या का एक बहुत ही गंभीर रूप धारण कर लेती है। हमें पता भी नहीं चलता और फिर खुजली के साथ साथ जलन और खून निकलने की प्रॉब्लम भी होना शुरू हो जाती है। वैसे तो सोराइसिस छूने से बिल्कुल नहीं फैलता है लेकिन कई स्थितियों में यह जेनेटिक यानि की पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली बीमारी भी होती है। यानिकी अगर आपके परिवार में पहले से किसी को सोराइसिस की समस्या हो चुकी है तो आपको भी यह होने के बहुत अधिक चांस होते हैं।

How do I get rid of psoriasis fast

सोराइसिस एक ऑटो इम्यून डिजीज है जो कि शरीर के इम्यून सिस्टम के गलत बर्ताव करने के कारण होती है। हमारे शरीर पर हर 30 दिन में पुरानी त्वचा हट कर एक नई त्वचा की परत चढ़ जाती है। लेकिन सोरायसिस होने पर यह समय घटकर बहुत कम हो जाता है। जिन जगहों पर यह बीमारी होती है उन जगहों पर कम समय में ही जल्दी जल्दी स्किन बनना शुरू हो जाती है और लगातार उस जगह की त्वचा मोटी होकर पपड़ी में बदलती रहती है। यह बीमारी बाहरी, अंदरूनी और दिमागी तीनों कारणों से होती है। इसलिए इसे जड़ से खत्म करने के लिए बाहर के साथ साथ अंदर से भी इलाज करना बहुत जरुरी होता है। साथ ही अपनी रोज़ाना खान पान में कुछ परहेज और सावधानी बरतने की भी जरूरत होती है। क्योंकि इस तरह की कोई भी ऑटोइम्यून बीमारी मात्र कुछ लगा लेने से पूरी तरह ठीक हो जाए ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है। इसलिए आज के इस विडियो में मैं आपको बताऊंगा कुछ बहुत ही आसान और असरदार घरेलू नुस्खे जिनके रोज़ाना इस्तमाल से सोराइसिस की समस्या कम समय में ही तेजी से खत्म होती हुई नज़र आएगी और साथ ही हम जानेंगे कुछ बहुत ही आवश्यक सावधानियों के बारे में जोकि सोराइसिस होने पर ध्यान रखना बहुत जरुरी होती है। तो चलिए बात करते हैं कुछ लगाने वाले नुस्खों की।

नुस्खा 1

How do I get rid of psoriasis fast

इसमें जो पहला नुस्खा है उसे बनाने के लिए हमें जरूरत होगी नीम के पत्ते, एलोवेरा जैल, हल्दी, कपूर और मैरीगोल्ड याने की गेंदे के फूल की। गेंदे का फूल हर तरह के जख्मों और त्वचा के रोगों से लड़ने में बहुत ही कारगर होता है। इसके फायदे इतने अद्भुत है कि इसका नाम दुनिया में मौजूद सबसे असरदार औषधियों की श्रेणी में आता है। इसके अंदर बहुत अधिक मात्रा में एंटीसेप्टिक प्रोपर्टीज पाई जाती है जो कि त्वचा में आई किसी भी तरह की फंगस या इन्फेक्शन पर तुरंत असर दिखाती है। जैसा की हम सभी जानते हैं डायबिटीज या शुगर के मरीज को जब चोट लग जाती है तो उनके जख्म बहुत धीरे धीरे ठीक होते हैं। लेकिन गेंदे के फूल के इस्तमाल से डायबिटीज के मरीजों को होने वाले जख्मों को भी तेजी से ठीक किया जा सकता है। इन सारी ही चीजों को मिलाकर हमें एक तेल तैयार करना है जिसके लिए हमें दो बेस आयल की जरूरत होगी। सोराइसिस को जल्दी ठीक करने के लिए तिल का तेल और नारियल का तेल यह दोनों ही बहुत अधिक उपयोगी होते हैं। तिल का इस्तमाल लगभग 30 से 40% आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है।

अलग अलग बीमारियों में इसको अलग अलग तरीके से यूज़ किया जाता है और खासकर जख्मों और त्वचा के रोगों में तिल के तेल से चमत्कारी परिणाम प्राप्त होते हैं। इसे बनाने के लिए सबसे पहले 100 एमएल तिल के तेल में 100 एमएल नारियल का तेल मिला कर इसे गैस पर कम आंच पर गर्म करें। उसके बाद इसमें 25 ग्राम यानि की आधा कप नीम के पत्ते, 25 ग्राम ही ताजा एलोवेरा जेल और 50 ग्राम यानि कि एक कप गेंदे के फूल मिलाएं। गेंदे के फूल डालते समय ध्यान रहे कि हमें इसमें केवल इसकी पत्तियों का ही इस्तमाल करना है। इसके नीचे वाले हरे हिस्से का इस्तमाल नहीं करना है। उसके बाद सारी चीजों को तेल में 5 से 10 मिनिट तक मध्यम आंच पर पकाएं। जब आप यह सारी चीजें तेल में मिक्स करेंगे तब सामग्री की मात्रा तेल से अधिक लगेगी। लेकिन धीरे धीरे जब आप इसे पकाते जाएंगे तब यह सारी चीजें तेल में जलने लगेगी और सामग्री में से तेल सेपरेट होने लगेगा। 5 से 10 मिनिट बाद गैस को बंद कर दें और फिर इस तेल को 2 से 3 मिनिट के लिए ठंडा होने दें। जब यह तेल हल्का गरम रह जाए तब इसमें एक टेबल स्पून हल्दी और दो चुटकी कपूर मिलाएं। कपूर इसमें हमें शुद्ध वाला ही इस्तमाल करना है जो पूजा में इस्तमाल किया जाता है। इसके बाद इस तेल को पूरी तरह ठंडा होने दे और ठंडा होने के बाद इसे छान कर किसी कांच के बर्तन में भरकर रख ले। इस तरह से यह नुस्खा तैयार हो जाएगा। जब भी त्वचा से सम्बंधित किसी गंभीर बीमारी का इलाज करने की बात आती है तब नीम का इस्तमाल होता ही है। यह सोराइसिस के अलावा पिम्पल, एक्जिमा, दाद और मस्सों के लिए बहुत उपयोगी होता है।

How do I get rid of psoriasis fast

इसके अलावा नारियल का तेल सोरायसिस के कारण आई त्वचा के सूखेपन को दूर करने के साथ साथ जलन और जख्मों को भी तेजी से ठीक करता है। इस तेल को रोज़ाना रात में कॉटन की सहायता से केवल उन जगहों पर लगाएं जहाँ पर आपको यह प्रॉब्लम है तेल लगाने के बाद उस जगह कपड़े की सहायता से कवर कर लें और रात भर उसी जगह पर लगा रहने दें। रोजाना इसका इस्तेमाल करते रहने से समय के साथ साथ आप नोटिस करेंगे कि सोराइसिस की प्रॉब्लम धीरे धीरे कम होती जाएगी। लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए इसके साथ कुछ दूसरे नुस्खों का इस्तमाल करना भी बहुत जरुरी है। इस तैयार तेल का इस्तमाल बालों में भी किया जा सकता है और साथ ही जिन लोगों को दाद, एग्जिमा और मस्सों की समस्या है वो लोग भी इसे यूज कर सकते हैं।

इसके अलावा काऊ यूरीन यानि की गोमूत्र सोराइसिस की बीमारी में चमत्कारी रूप से फायदेमंद होता है। त्वचा से संबंधित गंभीर से गंभीर बीमारियों में गोमूत्र एक वरदान की तरह है। इसका इस्तमाल मुख्यतः भारत में ज्यादा किया जाता है। लेकिन इसके इतने अधिक फायदे होने के कारण काफ़ी समय से कई तरह की दवाइयों में भी इसका इस्तमाल होता आ रहा है। गोमूत्र का भी इस्तमाल एग्जीमा, दाद, खुजली, रैशेस और त्वचा में किसी भी तरह की फंगस या सड़न और ल्यूकोडर्मा जैसी बीमारी को ठीक करने के लिए किया जाता है। अगर आप ताजा का यूरीन अरेंज नहीं कर पाते हैं तो उसकी जगह आप गोमूत्र अर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। गोमूत्र अर्क आपको किसी भी आयुर्वेदिक स्टोर पर आसानी से मिल जाएगा और अगर आप चाहें तो इसे औनलाइन भी खरीद सकते हैं। लेकिन अगर आप ताजा काऊ यूरीन अरेंज कर लेते हैं तो इसका इस्तमाल करते समय ध्यान रहे कि यह देसी गाय का ही होना चाहिए। या फिर जो गाय सिर्फ चारा या सब्जियां खाती हो और सेहत में पूरी तरह स्वस्थ हो उसका ही होना चाहिए। शहर में घूमने वाली गायों का मूत्र इतना ज्यादा फायदेमंद नहीं होता है और अशुद्ध चीजों को खाने की वजह से उनके यूरीन में बैक्टीरिया होने के भी बहुत अधिक चांस होते हैं। अपने नजदीकी दूध बेचने वाले लोगों की मदद से देसी गाय का यूरिन प्राप्त करना आसान हो जाता है। एक बार गाय का ताजा मूत्र मिल जाने पर इसका 7 से 8 दिन तक इस्तमाल किया जा सकता है।

नुस्खा 2

How do I get rid of psoriasis fast

इसके बाद अगले नुस्खे को बनाने के लिए हमें ज़रूरत होगी हल्दी, गेंदे का फूल और गोमूत्र की। इस नुस्खे को भी तैयार करने के लिए सबसे पहले गेंदे के फूलों को अच्छी तरह धो कर उनकी पत्तियाँ अलग कर लें। फिर इनकी पत्तियों को हल्दी और गोमूत्र के साथ अच्छी तरह पीसकर इसका एक पेस्ट तैयार कर लें। इस तैयार पेस्ट को सोराइसिस से अफेक्टेड स्किन पर लेप की तरह लगाएं। अगर आप इसे दिन के समय लगाते हैं तो इसे ऐसे टाइम पर ही लगाएं जब इसके इस्तमाल के बाद इसे ज्यादा से ज्यादा देर के लिए लगा के रखा जा सके। और जब भी आप इसे धोएं तो धोने के बाद इसपर पहले बनाया गया घरेलू तेल या फिर नारियल का तेल भी लगा सकते हैं। दोस्तों यह दोनों ही नुस्के इतने ज्यादा असरदार है कि लगातार एक महीने तक इनका इस्तमाल करने से आपको सोराइसिस की प्रॉब्लम में कमाल के परिणाम प्राप्त होंगे और साथ ही इन दोनों ही नुस्खों को एक्जीमा, दाद और खुजली की समस्या होने पर भी इस्तमाल किया जा सकता है। इसलिए इन नुस्खों में बताई गई सभी सामग्री को अरेंज करने की कोशिश करें।

सोरायसिस की बीमारी जब गंभीर हो जाती है तो इसकी वजह से हमारे शरीर में वीकनेस आ जाती है और साथ ही हमारी हड्डियां भी कमजोर पड़ने लगती है। क्योंकि लगातार त्वचा सूखकर झड़ते रहने से हमारी बॉडी से प्रोटीन तेजी से कम होने लगता है और चूंकि यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है इसलिए इसको जड़ से खत्म करने के लिए बाहर के अलावा अंदर से भी इसका इलाज करना जरुरी है। इसलिए सोरायसिस की बीमारी पर आगे मैं आपको बताऊंगा कुछ ऐसे ही बहुत असरदार खाये जाने वाले नुस्खे जो कि इस बीमारी की जड़ तक पहुच कर उसे पूरी तरह खत्म करने में बहुत ज्यादा कारगर है। और अगर आज के बताये गए नुस्खों के साथ साथ उन खाने वाले नुस्खों का भी सेवन किया जाये तो चाहे कितना ही पुराना सोराइसिस क्यों ना हो उसे आप कम समय में ही हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर पाएंगे।

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Cleanse Your Liver with 2 Ingredients

दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि किशमिश का पानी हमारी सेहत के लिए कितना अच्छा हो सकता है और खासकर अगर किशमिश खाने और इसके पानी के इस्तेमाल का सही तरीका पता हो तो यह हमारे liver के लिए चमत्कारी रूप से लाभदायक हो सकता है। आज के इस विडियो में हम जानेंगे किशमिश का पानी कैसे तैयार किया जाए?


किशमिश का पानी हमारे liver की रासायनिक क्रियाओं को बढ़ाता है जिससे कि हमारा खून बहुत तेजी से साफ होने लगता है। यदि आप इसका चार दिनों तक लगातार सेवन करते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी पाचन शक्ति पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी और साथ ही आप अपने शरीर में पहले से ज्यादा ऊर्जा महसूस करेंगे। क्या आपको पता है कि किशमिश के पानी के लाभ क्या हैं? कई तरह की बीमारियों में सुबह के समय किशमिश खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे शरीर में जमे खराब कोलेस्ट्रॉल से छुटकारा मिलता है और साथ ही यह बॉडी में ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करके कब्जियत और पेट से जुड़ी कई दूसरी समस्याओं को भी पूरी तरह खत्म कर देता है।

How to Detox Liver, How to Strong Liver

How to Detox Liver
किशमिश एंटी ऑक्सीडेंट का एक प्राकृतिक स्रोत है इसलिए इसका इस्तेमाल दिल और लिवर से जुड़ी कई तरह की बीमारियों के लिए पुराने समय से किया जाता आ रहा है। किशमिश का पानी हमारे शरीर को तेजी से डीटॉक्स करता है, जिसका सीधा असर हमारी किडनी और liver पर होता है। खराब खान पान और बहार का भोजन तथा शराब आदि का सेवन करने से हमारे लीवर में गंदगी जमा होती जाती है और साथ ही वह कमजोर भी होता जाता है, जिसकी वजह से खराब लिवर का असर हमारी सेहत के साथ साथ हमारी त्वचा पर भी नजर आने लगता है। ऐसे में यदि आप एक महीने में एक बार लगभग चार दिन लगातार किशमिश के पानी का सेवन करते हैं तो इससे शरीर पूरी तरह डिटॉक्स होता है। साथ ही लीवर और किडनी की अच्छी तरह सफाई भी हो जाती है और शरीर में जमा सारे विषैले पदार्थ बहार निकल जाते हैं। किशमिश का पानी पाचन को मजबूत बनाता है क्यूंकि यह हमारे द्वारा खाए गए भोजन में मौजूद पोषक तत्वों को हमारे शरीर में पूरी तरह पहुंचाता है और साथ ही यह पेट के पाचक ज्यूस की मात्रा को भी बढ़ाता है। जब आप इसका पानी पीना शुरू करेंगे तो मात्र दो दिन में ही आपको फर्क दिखना शुरू हो जाएगा।

चलिए जान लेते हैं किशमिश का पानी कैसे तैयार करना है?

किशमिश वाला पानी: खून और लिवर की सफाई का प्राकृतिक उपाय

How to Detox Liver

किशमिश का सेवन वैसे तो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन जब इसे खास तरीके से पानी में उबालकर इस्तेमाल किया जाए, तो यह शरीर की सफाई में और भी असरदार हो जाता है। खासकर खून और लिवर की शुद्धि के लिए यह एक बेहतरीन घरेलू नुस्खा है। आइए जानते हैं इसे कैसे तैयार करना है और इसका सही तरीके से सेवन कैसे करें।


सामग्री का चयन

इस उपाय के लिए 150 ग्राम गहरे रंग की किशमिश और 400 एमएल (दो कप) पानी की आवश्यकता होती है। यह ज़रूरी है कि किशमिश बहुत नरम या बहुत सख्त न हो। अच्छी गुणवत्ता वाली किशमिश ही उपयोग में लें, ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके।


किशमिश को तैयार करना

How to Detox Liver

सबसे पहले किशमिश को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें ताकि उसमें मौजूद धूल-मिट्टी और अशुद्धियाँ निकल जाएं। अब दो कप पानी को उबालें और उसमें किशमिश डालकर लगभग 20 मिनट तक धीमी आंच पर उबलने दें। इसके बाद गैस बंद कर दें और उस मिश्रण को रातभर ढंककर रख दें, ताकि किशमिश का पूरा अर्क पानी में उतर सके।


सुबह सेवन करने का तरीका

सुबह उठकर सबसे पहले उस पानी को हल्का गुनगुना करें। अब किशमिश को छान लें और केवल पानी का सेवन करें। इस बात का ध्यान रखें कि इसे बिल्कुल खाली पेट पीना है और इसके बाद कम से कम आधे घंटे तक कुछ भी नहीं खाना-पीना चाहिए, ताकि यह पूरी तरह से शरीर में असर दिखा सके।


सेवन की अवधि

इस उपाय को लगातार चार दिनों तक हर सुबह अपनाना ज़रूरी है। चार दिन में शरीर की भीतरी सफाई शुरू हो जाती है और इसका असर आप खुद महसूस कर सकते हैं। लिवर की कार्यक्षमता बढ़ती है और खून की गुणवत्ता में सुधार आता है।


खाने-पीने में सावधानी

इन चार दिनों के दौरान ऐसी किसी भी चीज़ का सेवन न करें जिससे शरीर में चर्बी जमा हो, जैसे तली-भुनी चीजें, प्रोसेस्ड फूड या ज्यादा तेल मसाले वाला खाना। इसके बजाय ज्यादा से ज्यादा फल, सब्जियाँ, सलाद और पानी पिएं। इससे सफाई की प्रक्रिया और भी ज्यादा प्रभावी हो जाती है।

अगर आप लिवर से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या से परेशान है या आपकी त्वचा पर अक्सर दाग धब्बे या मस्से होते रहते है तो इस नुस्खे का इस्तेमाल जरुर करें। अगर आपको आज का यह वीडियो पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर जरुर करें और किसी भी तरह का सवाल या सुझाव हो तो कमेंट के जरिये हमें जरूर बताएं। आगे भी इस तरह के और वीडियोस के लिए हमारे चैनल Fitness Secret को सब्सक्राइब करना ना भूले। तो मिलते हैं अगले विडियो के साथ।

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Toxic Fake Salt: A Danger to Bones & Heart | घर पर ऐसे करें असली-नकली की पहचान https://healthdarbar.com/toxic-fake-salt/ https://healthdarbar.com/toxic-fake-salt/#respond Fri, 11 Apr 2025 08:23:05 +0000 https://healthdarbar.com/?p=4542

हाल ही में उत्तर प्रदेश के आगरा में नकली salt और वॉशिंग पाउडर बनाने वाली एक फैक्ट्री पकड़ी गई। इस फैक्ट्री से भारी मात्रा में पैक्ड नकली salt बरामद किया गया। यह salt आसपास के जिलों समेत राजस्थान में सप्लाई किया जा रहा था।

Salt हमारे खाने का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो न केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि शरीर के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य भी करता है। ये शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखते हैं, जिससे डिहाइड्रेशन नहीं होता। इसके अलावा, ये नसों और मांसपेशियों को ठीक से काम करने में मदद करते हैं और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल रखते हैं।

लेकिन अगर salt मिलावटी या नकली हो तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। इसमें मौजूद केमिकल्स हमारे पेट, किडनी और लिवर पर बुरा असर डाल सकते हैं।

तो चलिए, आज Fitness Secret में बात करेंगे मिलावटी salt की। साथ ही जानेंगे कि—

  • नकली salt से किस तरह की हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं?
  • घर पर असली salt की पहचान कैसे करें?

मिलावटी नमक खाने से किस तरह की हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं?

Toxic Fake Salt

मिलावटखोर नमक में सस्ते केमिकल्स और वाइट स्टोन पाउडर जैसी हानिकारक चीजें मिलाते हैं, जिससे वे अपनी लागत कम करके ज्यादा-से-ज्यादा मुनाफा कमा सकें। ये मिलावटी चीजें न सिर्फ नमक की क्वालिटी को खराब करती हैं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद खतरनाक हैं।

मिलावटी नमक से किस तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।

  • पाचन संबंधी समस्याएं
  • उल्टी, जी मिचलाना
  • डायरिया
  • पोषण की कमी
  • मूड स्विंग्स, इम्यूनिटी
  • कमजोर, फोकस कम होना
  • बाल झड़ना
  • इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन
  • सिरदर्द, पेट में ऐंठन,
  • क्रैंप्स, थकान-सुस्ती

क्या मिलावटी नमक खाने से लिवर और किडनी को नुकसान पहुंच सकता है?

Toxic Fake Salt

मिलावटी नमक में पोटेशियम क्लोराइड जैसे हानिकारक केमिकल हो सकते हैं। ये शरीर में विषैले तत्व (टॉक्सिन) बढ़ाते हैं, जिससे लिवर और किडनी को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। लंबे समय तक मिलावटी नमक खाने से किडनी स्टोन, किडनी डैमेज या किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। अगर कोई व्यक्ति पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर या किडनी की समस्या से जूझ रहा है तो उसे यह खतरा अधिक बढ़ जाता है।

घर में असली और मिलावटी नमक की पहचान कैसे कर सकते हैं?

Toxic Fake Salt

किसी भी खाने-पीने की चीज की मिलावट का पता लगाने का सबसे आसान तरीका उसके स्वाद का टेस्ट करना है। असली नमक हल्का खारा और उसका स्वाद नॉर्मल होता है। जबकि मिलावटी नमक बहुत ज्यादा तीखा होता है क्योंकि इसमें पोटेशियम क्लोराइड या अन्य केमिकल मिलाए जाते हैं।

इसके अलावा असली नमक की पहचान करने के लिए एक गिलास साफ पानी लें और उसमें एक चम्मच नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अगर नमक पूरी तरह घुल जाए और पानी साफ रहे तो नमक शुद्ध है। अगर पानी का रंग बदल जाए या गंदगी जम जाए तो नमक मिलावटी हो सकता है।

इसके अलावा असली नमक का पता लगाने के लिए ‘पटेटो टेस्ट’ भी कर सकते हैं

  • घर पर ऐसे करें असली नमक की पहचान
  • सबसे पहले एक आलू को दो हिस्सों में काट लें।
  • इसके बाद दोनों हिस्सों पर थोड़ा सा नमक लगाएं।
  • करीब एक मिनट के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें।
  • इसके बाद आलू के दोनों हिस्सों पर नींबू का रस निचोड़ें।
  • अगर नमक शुद्ध और डबल फोर्टिफाइड है तो आलू का रंग सामान्य रहेगा।
  • अगर आलू का रंग नीला हो जाए तो नमक मिलावटी है।

Toxic Fake Salt

मिलावटी नमक से बचने के लिए हमेशा प्रतिष्ठित ब्रांड का नमक खरीदें और पैकेट पर FSSAI व BIS मार्क जरूर देखें। बिना आयोडीन वाला या मिलावटी नमक थायरॉइड, हार्ट डिजीज, डिहाइड्रेशन, हड्डियों की कमजोरी और बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। मिलावटी नमक में असंतुलित सोडियम या हानिकारक केमिकल्स हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एक स्वस्थ वयस्क को प्रतिदिन अधिकतम 5 ग्राम (एक चम्मच) नमक का सेवन करना चाहिए, इससे अधिक नमक का सेवन कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

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5 Shocking Facts About Slip Disc: Causes, Symptoms & Treatment, डॉक्टर से जानें लक्षण https://healthdarbar.com/facts-about-slip-disc/ https://healthdarbar.com/facts-about-slip-disc/#respond Fri, 11 Apr 2025 07:34:47 +0000 https://healthdarbar.com/?p=4544

क्या आपकी कमर में दर्द रहता है? अचानक पैर सुन्न हो जाते हैं? गर्दन में दर्द रहता है और हाथ सुन्न हो जाते हैं? ये Slip Disc के लक्षण हो सकते हैं।

‘साइंस डायरेक्ट’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 1.3% लोगों को जीवन में कभी-न-कभी Slip Disc की समस्या होती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, भारत में लगभग 2% लोगों को हर साल Slip Disc की समस्या होती है।

हमारी रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइन कई छोटी हड्डियों से मिलकर बनी होती है। ये हड्डियां एक कड़ी में सिर से लेकर कमर तक जुड़ी हुई हैं। इन हड्डियों के बीच नरम कुशन जैसे Slip Disc होते हैं। जिस तरह गाड़ियों में शॉक एब्जॉर्बर होते हैं, जो झटकों को एब्जॉर्ब कर लेते हैं और गाड़ी स्मूद चलती रहती है। इसी तरह ये Slip Disc झटकों को एब्जॉर्ब करती हैं और हड्डियों को लचीला बनाए रखती हैं। जब ये खिसक जाते हैं या फट जाते हैं तो इसे Slip Disc कहते हैं। कई बार इसके लक्षण इतने खराब हो सकते हैं कि चलना-फिरना भी मुश्किल हो सकता है।

यहाँ पर Slip Disc के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानें।

  • यह क्या होती है?
  • इसके लक्षण क्या हैं?
  • स्लिप डिस्क कितने तरह की होती है?
  • इसका इलाज और बचाव के उपाय क्या हैं?

स्लिप डिस्क क्या है?

ऑर्थोपेडिक डॉ. अंकुर गुप्ता कहते हैं कि अगर कोई तेज झटका लगता है तो डिस्क खिसक सकती है या फट सकती है। यह भी हो सकता है कि डिस्क से जेल जैसा पदार्थ निकल आए, इसे स्लिप डिस्क या हर्निएटेड डिस्क कहते है।

कितने तरह की होती है स्लिप डिस्क?

Facts About Slip Disc

डॉ. अंकुर गुप्ता कहते हैं कि सुनने लग सकता है कि स्लिप डिस्क का मतलब है कि डिस्क खिसक गई है। हालांकि, इसमें डिस्क खिसकने के अलावा फट सकती है या हो सकता है कि इसके अंदर भरा जेली जैसा पदार्थ रिलीज हो गया है। स्लिप डिस्क कई तरह की होती है-

प्रोट्रूजन (Protrusion)- जब डिस्क का बाहरी हिस्सा अपनी जगह से खिसकता है लेकिन पूरी तरह फटता नहीं है।

एक्सट्रूजन (Extrusion)- जब डिस्क का जेल जैसा पदार्थ सरफेस से बाहर निकलता है, लेकिन फिर भी डिस्क के अंदर रहता है।

सीक्वेस्ट्रेशन (Sequestration)- जब डिस्क का अंदरूनी जेली जैसा पदार्थ पूरी तरह बाहर आकर स्पाइनल कॉर्ड पर प्रेशर बनाने लगता है।

बल्गिंग डिस्क (Bulging Disc)- जब पूरी डिस्क हल्की फूल जाती है, लेकिन फटती नहीं है।

स्लिप डिस्क के कारण दिख सकते हैं ये लक्षण

कमर के पास स्लिप डिस्क होने पर

  • कमर दर्द
  • पैर में झनझनाहट या सुन्नता महसूस होना
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • एक पैर में नीचे की ओर तेज दर्द (सायटिका )
  • गर्दन में दर्द
  • कंधे और हाथ में दर्द
  • उंगलियों में झनझनाहट या सुन्नता
  • सिर घुमाने पर दर्द बढ़ना

स्लिप डिस्क के कारण

Facts About Slip Disc

स्लिप डिस्क की समस्या आमतौर पर 40 से 50 साल की उम्र के बाद ज्यादा देखने को मिलती है। बढ़ती उम्र के साथ रीढ़ की हड्डियों के बीच मौजूद डिस्क कमजोर होने लगती हैं। इसके कारम उनके फटने या खिसकने का जोखिम बढ़ जाता है। हालांकि, गलत लाइफस्टाइल और बहुत भारी वजन उठाने से यह समस्या कम उम्र में भी हो सकती है।

इन कारणों से हो सकती है स्लिप डिस्क की समस्या

उम्र बढ़ने से – उम्र के साथ डिस्क कमजोर और कठोर हो जाती है।

भारी वजन उठाने से – पीठ के बजाय कमर पर जोर पड़ सकता है।

अचानक झटका लगने से – चोट लगने से भी डिस्क फट सकती है।

गलत पोश्चर से –  गलत पोश्चर में बैठने से रीढ़ पर दबाव पड़ता है।

वजन बढ़ने से-  ज्यादा वजन से डिस्क पर दबाव बढ़ता है।

स्मोकिंग से – शरीर में ऑक्सीजन कम होने से डिस्क कमजोर हो सकती है।

स्लिप डिस्क का इलाज क्या है?

Facts About Slip Disc

इसके लिए दर्द की दवाओं के साथ फिजियोथेरेपी दी जा सकती है। इसके अलावा डॉक्टर कुछ एक्सरसाइज सजेस्ट कर सकते हैं।

दवाएं: हल्के दर्द के लिए पेन किलर दी जाती हैं और अगर यह दर्द नसों में महसूस हो रहा है तो गैबापेंटिन जैसी दवाएं दी जा सकती हैं।

फिजियोथेरेपी: एक्सरसाइज और मसाज से दर्द कम हो सकता है।

इंजेक्शन थेरेपी: गंभीर मामलों में स्टेरॉयड इंजेक्शन दिए जाते हैं।

सर्जरी: अगर लगभग 6 हफ्तों तक इलाज के बाद भी दर्द बहुत ज्यादा बना हुआ है तो ऑपरेशन किया जा सकता है।

स्लिप डिस्क से कैसे बचें?

डिस्क की खास बात ये है कि यह हमारे रीढ़ की हड्डियों के बीच रहकर उन्हें कुशन देती है और पूरे शरीर को लचीलापन देती है। हम जितना चलते-फिरते रहेंगे और एक्सरसाइज करते रहेंगे, ये हेल्दी बनी रहेंगी। अगर सिडेंटरी लाइफस्टाइल फॉलो कर रहे हैं या बहुत लंबे समय तक एक ही पोश्चर में बैठे रहते हैं तो स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है। इससे बचाव के लिए फॉलो करें ये टिप्स-

  • रोज हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें।
  • सही पॉश्चर में बैठें और चलें, सीधे बैठें, झुककर न चलें।
  • हेल्दी डाइट लें और वेट कंट्रोल में रखें।
  • लंबे समय तक बैठने से बचें। बीच-बीच में ब्रेक लेकर टहलें।
  • बहुत भारी वजन उठाते समय घुटनों का सहारा लें, पीठ पर जोर न दें।

स्लिप डिस्क से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब

क्या स्लिप डिस्क अपने आप ठीक हो सकती है?

हां, हल्की स्लिप डिस्क अपने आप ठीक हो सकती है। इसमें कुछ हफ्तों या कुछ महीनों का समय लग सकता है। जरूरत पड़ने पर दवाएं और फिजियोथेरेपी लेनी पड़ सकती है। गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है।

क्या स्लिप डिस्क से पूरी तरह बचाव संभव है?

हां, अगर सही पॉश्चर अपनाया जाए। रोज एक्सरसाइज की जाए, भारी वजन उठाने से बचा जाए और हेल्दी डाइट ली जाए तो स्लिप डिस्क से बचाव संभव है।

स्लिप डिस्क में कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए?

डॉक्टर की सलाह से स्ट्रेचिंग, कोर स्ट्रेंथ एक्सरसाइज, योग और हल्की फिजियोथेरेपी की जा सकती है, लेकिन बिना सलाह के कोई भी एक्सरसाइज न करें।

क्या स्लिप डिस्क में चलनाफिरन से मुश्किल बढ़ सकती है?

नहीं, हल्की-फुल्की एक्टिविटी और वॉक करने से दर्द कम हो सकता है। हालांकि, इस दौरान बहुत ज्यादा झुकने या भारी काम करने से बचना चाहिए।

क्या स्लिप डिस्क की समस्या पूरी तरह ठीक हो सकती है?

सही इलाज, एक्सरसाइज और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से यह समस्या कंट्रोल में आ सकती है। हालांकि, कुछ मामलों में यह बार-बार हो सकती है, इसलिए सावधानी जरूरी है।

स्लिप डिस्क में कौन से फूड्स फायदेमंद हैं?

इस दौरान हड्डियों को मजबूत रखने के लिए दूध, दही, बादाम, हरी सब्जियां और विटामिन-D से भरपूर भोजन करना फायदेमंद हो सकता है।

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How to Gain Weight Fast in Winter | सर्दियों में वजन बढ़ाने के 4 आसान तरीका ? https://healthdarbar.com/gain-weight-fast-in-winter/ https://healthdarbar.com/gain-weight-fast-in-winter/#respond Mon, 07 Apr 2025 12:08:18 +0000 https://healthdarbar.com/?p=1213

How to Gain Weight Fast in Winter, How can I gain weight for 7 days

How to Gain Weight Fast in Winter

दोस्तों सर्दियों के शुरू होते ही बहुत से लोगों को की यह टेंशन बढ़ जाती है कि कैसे उनका वजन बढ़े ..! सर्दियों के शुरू होने के साथ ही आखिर ऐसा क्या किया जाए जिससे कि उनका दुबला पतला शरीर भी तंदुरुस्त दिखने लगे ..?

 तो दोस्तों हम आज आपको बताने जा रहे हैं ऐसे कुछ इफेक्टिव और मैजिकल एक्सरसाइजेज और योग पोजीशंस जिनके इस्तेमाल से आपको कुछ ही समय में मिलेंगे मैजिकल रिजल्ट्स !

पुश-अप्स

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दोस्तों यह बहुत कॉमन और फेमस एक्सरसाइज सर्दियों के डेली रूटीन में एक हल्की-फुल्की व वार्म अप के बाद कुछ पुशअप्स को ऐड अप करने से न सिर्फ आप सर्दियों के दौरान खुद में मैजिकल चेंजेज देखेंगे साथ ही यह कड़ाके की सर्दीयों मैं भी आप के पसीने छुड़ाने के लिए काफी है ।

इस एक्सरसाइज को करने से कंधे और मसल्स मजबूत होते हैं। इससे वजन बढ़ाने में मदद मिलती है।

~पुशअप्‍स एक्‍सरसाइज की शुरूआत आपको आसान तरीके से करनी चाहिए।

~इसे करने के लिए अपने घुटनों और हथेलियों को जमीन पर रखें।

~अब अपनी चेस्‍ट को नीचे की ओर पुश करें। फिर ऊपर की ओर आएं। ऐसा कई बार करें।

ट्राइसेप डिप्स

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How to Gain Weight Fast in Winter, How can I gain weight for 7 days

सर्दियों में वजन बढ़ाने के लिए एक और बेहतरीन फेहरिस्त में शामिल है ट्राइसेप डिप्स वर्कआउट।

इसे करने के लिए आपको कुर्सी की आवश्यकता होगी। इस एक्सरसाइज को नियमित करने से शोल्डर, काफ मसल्स जैसे अन्य बॉडी पार्ट्स को स्ट्रॉन्ग एवं ब्रॉड बनाया जा सकता है।

~इसे करने के लिए चेयर को दीवार के सहारे रख लें।

~फिर कमर चेयर की तरफ करके खड़ी हो जाएं।

~अपने हाथों को नीचे लाकर चेयर के किनारे पर टिकाएं।

~अब धीरे-धीरे नीचे बैठना शुरू करें, लेकिन जमीन को ना छुएं।

~अब फिर से ऊपर उठ जाएं।

~ऐसा कम से कम 10 बार करें।

अगर आपकी बाजुओं बहुत पतली हैं तो इस एक्‍सरसाइज को करें। यह आर्म्‍स और पीठ के लिए अच्‍छा होता है। इसे आप आसानी से घर पर कर सकती हैं और अगर आप इसे सही तरीके से करते हैं तो आप इन सर्दियों में शरीर के ऊपरी हिस्से में मसल्‍स को गेन कर सकती हैं।

हैवी लिफ्ट

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सुहानी सी सर्दियों में बस रजाई में दुबके रहने भर से तो आपकी बॉडी स्ट्रांग बनने से रही । तो बड़े मसल्स के लिए आपको हेवी वेट भी उठाना होगा।

यह ना सिर्फ आपकी सर्दियों के कभी कबार के हालत से भरे दिनों को स्ट्रैंथ से भर देगा साथ ही वजन बढ़ाने में भी बहुत ज्यादा हेल्पफुल होगा ।

स्क्वॉट्स

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स्क्वॉट्स व्यायाम आपके बट और पैरों में मांसपेशियों के निर्माण में मदद करते हैं। अगर इन सर्दियों में अब तेजी से वेट गेन करना चाहते हैं तो इसे गलती से भी स्किप ना करें। यह खास तौर पर आपकी क्वाड्रिसेप्स फिमोरिस की मांसपेशियों को मजबूत करता है।

इसे करने के लिए ~

~सीधे खड़े हो जाएं।

~अपने हाथों को अपने कूल्हों पर रखें और अपनी पेट की मांसपेशियों को स्ट्रेच करें।

~पैरों का उपयोग करके नीचे की ओर झुके। इसे बैठने की अवस्था जैसा कहा जा सकता है।

~जब तक आपकी जांघें जमीन के समानांतर नहीं हो जाती, तब तक बैठे रहें।

~अपने ऊपरी शरीर को जितना संभव हो उतना स्थिर रखें। वापस अपनी मूल स्थिति में आ जाएं।

बस ध्यान रखें कि

~जो भी एक्सरसाइज आप कर रहे हैं उसका मूवमेंट पूरी तरह ठीक होना चाहिए. एक्सरसाइज के दौरान पोस्चर पर भी ध्यान दें.

~एक्सरसाइज के दौरान सांस लेने और छोड़ने के समय का भी खास ख्याल रखना चाहिए.

~एक्सरसाइज करने से आधा घंटा पहले सेव या केला या बादाम खाना चाहिए. ऐसा करने से व्यायाम करने के दौरान कमजोरी महसूस नहीं होती है.

~व्यायाम के समय पानी की बोतल जरूर पास होनी चाहिए।

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4 Remarkable New Discoveries of India | एक गोली से पूरा खाना ? https://healthdarbar.com/remarkable-new-discoveries/ https://healthdarbar.com/remarkable-new-discoveries/#respond Mon, 07 Apr 2025 10:06:35 +0000 https://healthdarbar.com/?p=4516

क्या हो अगर आपको खाना बनाने की ज़रूरत ही ना पड़े? ना गैस जलानी पड़े, ना बर्तन धोने पड़ें, बस एक गोली खाइए और आपका खाना पूरा! यह कोई साइंस फिक्शन फिल्म नहीं, बल्कि हकीकत बनने जा रहा है!”

“आज के वीडियो में हम जानेंगे इस क्रांतिकारी खोज और नई खोजों (discoveries) के बारे में, जो CSIR-IITR ने तैयार की है – एक ऐसा न्यूट्रीशन टैबलेट जो भोजन की ज़रूरत को पूरा कर सकता है! – यह कैसे बनी, शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका क्या असर होगा, और क्या यह सच में खाने की जगह ले सकती है? क्या ये सच में खाने का विकल्प बन सकता है? आइए, जानते हैं पूरी कहानी!”

वैज्ञानिक उपलब्धि: पोषण से भरपूर एक नई खोज

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CSIR-Indian Institute of Toxicology Research (IITR), लखनऊ के वैज्ञानिकों ने दो वर्षों के शोध के बाद मिलेट्स आधारित एक अनूठी टैबलेट विकसित की है। यह टैबलेट ज्वार, बाजरा, रागी और अन्य पारंपरिक अनाजों से आवश्यक पोषक तत्वों को निकालकर बनाई गई है। इस खोज का उद्देश्य पोषण की कमी को दूर करना और आपातकालीन परिस्थितियों में एक प्रभावी समाधान प्रदान करना है।

पोषण तत्वों का संयोजन

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यह टैबलेट प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होती है, जिससे शरीर को संतुलित न्यूट्रीशन मिलता है। इसके निर्माण की प्रक्रिया में मिलेट्स को पाउडर में बदला जाता है, फिर वैज्ञानिक विधियों से पोषक तत्व निकाले जाते हैं और अंत में उन्हें एक टैबलेट के रूप में संपीड़ित किया जाता है।

इस टैबलेट की आवश्यकता क्यों पड़ी?

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यह नवाचार केवल सुविधा के लिए नहीं, बल्कि वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए विकसित किया गया है। वर्तमान समय में भोजन की उपलब्धता, पोषण की कमी और आपातकालीन परिस्थितियों में भोजन की आवश्यकता को देखते हुए, इस टैबलेट का महत्व बढ़ जाता है।

संभावित उपयोग क्षेत्र: आपातकालीन परिस्थितियों में, जैसे प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, भूकंप आदि) के दौरान, जब भोजन की उपलब्धता सीमित होती है, तब यह टैबलेट जीवन रक्षक बन सकती है। सेना और अंतरिक्ष मिशनों में, जहां सैनिकों और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए हल्का एवं पोषण युक्त भोजन आवश्यक होता है, यह टैबलेट उनके लिए एक उपयोगी विकल्प हो सकती है।

इसके अलावा, कुपोषण से बचाव में भी यह टैबलेट अहम भूमिका निभा सकती है। भारत और विश्व के कई क्षेत्रों में पोषण की कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है, और यह टैबलेट आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में 82 करोड़ से अधिक लोग भूख का सामना कर रहे हैं। यदि इस टैबलेट का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाए, तो यह इस समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

क्या यह वास्तव में भोजन की जगह ले सकती है?

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यह टैबलेट बेहद हल्की होती है और आसानी से स्टोर की जा सकती है। साथ ही, यह ज़रूरी पोषण प्रदान करती है और लंबे समय तक खराब नहीं होती, जिससे इसे आपातकालीन परिस्थितियों और विशेष परिस्थितियों में उपयोगी बनाया जा सकता है।

यह शरीर के लिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि यह आवश्यक ऊर्जा और पोषण प्रदान करती है, जिससे शरीर में कमज़ोरी नहीं आती। इसके अलावा, इसे पचाने में ज्यादा समय नहीं लगता, जिससे यह डाइजेशन के लिए भी अनुकूल होती है। यह माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, जैसे विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होती है, जो शरीर की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा कर सकती है।

मिलेट्स आधारित पोषण टैबलेट आपातकालीन स्थितियों और विशेष आवश्यकताओं के लिए एक क्रांतिकारी समाधान है। हालांकि, यह पारंपरिक भोजन का पूर्ण विकल्प नहीं बन सकती। भोजन केवल पोषण का स्रोत नहीं, बल्कि एक संपूर्ण अनुभव है, जिसे विज्ञान से पूरी तरह बदलना संभव नहीं है।


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