4 Warning Signs of Clogged Arteries | ये लक्षण दिखें तो कोलेस्ट्रॉल जांचें

हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल या हाइपर कोलेस्ट्रॉलिनिया एक ऐसी समस्या है जिसने आज पूरी दुनिया को प्रभावित कर रखा है। मनुष्यों में फैलने वाली यह सबसे तेज बीमारी मानी जाती है क्योंकि कोलेस्ट्रॉल और Clogged आर्टरीज जैसे विषयों के बारे में अक्सर लोगों को जानकारी नहीं होती है। शरीर में धीरे-धीरे बढ़ रहे कोलेस्ट्रॉल और क्लॉग्ड आर्टरीज के लक्षणों को वे लगातार नजरअंदाज कर रहे होते हैं। ऐसे में हो सकता है इस वक्त आपके शरीर में भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हो और आर्टरीज क्लॉग्ड हों, और आप इस बात से पूरी तरह अनजान हों।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की स्टडी के अनुसार, दुनिया में हर साल लाखों लोग जिन 10 प्रमुख कारणों से अपनी जान गंवाते हैं, उनमें इस्कीमिक हार्ट डिजीज पहले स्थान पर है। इस बीमारी में दिल तक खून और ऑक्सीजन सही तरीके से नहीं पहुंच पाते, जिससे कभी भी हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। ऐसी बीमारियों के पीछे मुख्य वजह बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल होता है। सिर्फ भारत में ही हर साल लगभग 12 लाख से अधिक लोग दिल की बीमारियों के कारण जान गंवाते हैं, जिनमें 19 से 70 साल की उम्र के लोग शामिल होते हैं। कोलेस्ट्रॉल एक चिकना, पीले रंग का मोम जैसा पदार्थ है, जो शरीर के लिए उतना ही जरूरी है जितना खून। यह लिवर में बाइल एसिड बनाने में मदद करता है, जिससे भोजन पचने में सहायता मिलती है। इसके अलावा, यह शरीर को विटामिन D बनाने और सेक्स हार्मोन के निर्माण में भी सहायता करता है। चूंकि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए जरूरी है, इसलिए इसका 70% हिस्सा लिवर खुद बनाता है, जबकि बाकी 30% हमें भोजन से मिलता है। अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाए तो यह धमनियों में जमा होकर उन्हें संकुचित कर सकता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। इसके शुरुआती संकेतों को पहचानना जरूरी है ताकि समय रहते इसे नियंत्रित किया जा सके।

कोलेस्ट्रॉल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – एलडीएल और एचडीएल। एचडीएल, यानी हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है, जबकि एलडीएल, यानी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, बुरा कोलेस्ट्रॉल होता है क्योंकि यही धमनियों में जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करता है। एलडीएल से भरपूर खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है। डीप फ्राइड चीजें, तला हुआ नॉन-वेज, मैदा, घी, बटर, वेजिटेबल ऑयल (डालडा), केक, पेस्ट्री, मिठाइयाँ, तले हुए स्नैक्स, अंडे, सिगरेट और शराब जैसी चीजें कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं।

जब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, तो यह रक्त वाहिकाओं, विशेष रूप से आर्टरीज में जमा होने लगता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और ब्लॉकेज बनने लगते हैं। सबसे ज्यादा असर दिल तक खून पहुंचाने वाली कोरोनरी आर्टरीज और दिमाग की कैरोटिड आर्टरीज पर पड़ता है। यही कारण है कि बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के कारण हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है।

छुपा हुआ कोलेस्ट्रॉल खतरा बन सकता है

Clogged Arteries

कई बार इंसान दिखने में स्वस्थ होता है, लेकिन शरीर में बढ़ रहे कोलेस्ट्रॉल के कारण वह अचानक दिल की बीमारियों की चपेट में आ सकता है। इसकी दो मुख्य वजहें होती हैं – पहला, हमारा लाइफस्टाइल जिसमें कोई वर्कआउट शामिल नहीं होता, और दूसरा, हैवी भोजन, जो आसानी से नहीं पचता और शरीर में चर्बी बढ़ाता है। कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो दिल की बीमारियों और शरीर में बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के शुरुआती संकेत देते हैं। ऐसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और समय रहते इन पर ध्यान देना जरूरी है। अगर आप, आपके परिवार या मित्रों में से किसी को भी ये लक्षण दिखें, तो तुरंत कोलेस्ट्रॉल चेकअप करवाने की सलाह दें।

शरीर में बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के लक्षण

Clogged Arteries

बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के कारण शरीर के विभिन्न अंगों तक खून पहुंचाने वाली आर्टरीज सिकुड़ने लगती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है। इसका असर खासतौर पर पैरों पर पड़ता है, जिससे शरीर की मसल्स तक पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाता। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:

  • हाथ और पैरों का बार-बार सुन्न होना
  • बैठे-बैठे या सोते समय पैरों में ऐंठन आना
  • पैरों में झुनझुनी या चींटी काटने जैसा अहसास होना
  • हाथ-पैरों का अक्सर ठंडा रहना, जो रक्त प्रवाह में रुकावट का संकेत हो सकता है

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव

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कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से शरीर के विभिन्न अंगों तक खून पहुंचाने वाली आर्टरीज सिकुड़ने लगती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है, खासकर पैरों में। इसके कारण हाथ और पैरों का बार-बार सुन्न होना, बैठे-बैठे या सोते समय पैरों में ऐंठन आना, झुनझुनी या चींटी काटने जैसा महसूस होना और हाथ-पैरों का ठंडा रहना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह खराब ब्लड सर्कुलेशन का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से शरीर भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों को पूरी तरह से अवशोषित नहीं कर पाता, जिससे धीरे-धीरे न्यूट्रिशन की कमी होने लगती है। हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल दिल तक खून पहुंचाने वाली नसों में प्लाक जमा देता है, जिससे ब्लड फ्लो कमजोर हो जाता है। इसके कारण जल्दी थकान महसूस होना, ज्यादा पसीना आना, हल्का सा काम करने पर ही थक जाना और लगातार आलस या सुस्ती रहना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जो लोग रोजाना थकान महसूस करते हैं या जिन्हें लगातार सुस्ती बनी रहती है, उन्हें अपने खून में कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर करवानी चाहिए।

अगर शरीर में एचडीएल, यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है, तो यह चर्बी को बढ़ने से रोकता है और फैट बर्न करने में मदद करता है। वहीं, अगर एलडीएल, यानी बुरा कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए, तो शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। यही कारण है कि अधिक वजन वाले लोगों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होती है और उन्हें दिल व दिमाग से जुड़ी बीमारियों का खतरा अधिक रहता है।

हालांकि सीने में दर्द कई अन्य कारणों से भी हो सकता है, लेकिन शरीर में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल चेस्ट पेन और एंजाइना की वजह बन सकता है। जब आर्टरीज में जमा फैटी सब्सटेंस रक्त प्रवाह में बाधा डालता है, तो इससे सीने में दर्द, भारीपन और अंदरूनी चुभन महसूस हो सकती है।

बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल न केवल दिल बल्कि दिमाग तक खून पहुंचाने वाली कैरोटिड आर्टरीज को भी प्रभावित करता है, जिससे सिर के पिछले हिस्से और आधे सिर में अचानक दर्द होने लगता है। कई मामलों में, ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ने से माइग्रेन की समस्या हो सकती है, साथ ही चक्कर और घबराहट जैसी परेशानियां भी महसूस होती हैं।

इसके अलावा, बढ़ा हुआ बैड कोलेस्ट्रॉल दिल और फेफड़ों में रक्त संचार को कमजोर कर देता है, जिससे हल्का काम करने पर भी व्यक्ति जल्दी हांफने लगता है, अत्यधिक थकान महसूस करता है और सांसें छोटी हो जाती हैं। कई स्थितियों में सांस लेने में तकलीफ, अत्यधिक पसीना आना और सांसों से लगातार बदबू आना भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण हो सकते हैं।

बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के प्रभाव

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बढ़ा हुआ एलडीएल न केवल दिल और दिमाग बल्कि पाचन तंत्र पर भी नकारात्मक असर डालता है। जब लिवर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, तो मेटाबोलिज्म कमजोर होने लगता है, जिससे बाहर का या ज्यादा चर्बी वाला भोजन खाने पर पेट फूलने लगता है, खाना ठीक से नहीं पचता और बार-बार गैस व कब्ज जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसके अलावा, लगातार फ्रेश होने के दौरान पतला मल निकलना भी शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। वहीं, बढ़े हुए लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) का असर त्वचा पर भी दिखाई देता है, खासतौर पर आंखों के आसपास हल्के पीले रंग के छोटे-छोटे दाने बनने लगते हैं। शुरुआत में ये छोटे होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे फैलकर बड़े हो सकते हैं, और अगर सही समय पर ध्यान न दिया जाए, तो इनमें दर्द भी शुरू हो सकता है। इस समस्या को जेनथेलास्मा कहा जाता है। बढ़े हुए बैड कोलेस्ट्रॉल के ये सामान्य लक्षण हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

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Clogged Arteries

admin

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