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आपने अपने आसपास ऐसे लोगों को जरूर देखा होगा, जो नींद में Snoring यानी खर्राटे लेते हैं। खर्राटे लेना काफी सामान्य बात है। कुछ लोगों को नींद में खर्राटे लेने की आदत होती है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (AASM) के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 24% एडल्ट महिलाएं और 40% एडल्ट पुरुष Snoring करते हैं। ऐसा नहीं है कि खर्राटे सिर्फ एडल्ट्स की समस्या है। बच्चों में भी खर्राटों की समस्या होती है।
आमतौर पर ऐसी धारणा है कि अगर कोई व्यक्ति सोते समय Snoring करता है तो उसे अच्छी नींद आती है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। खर्राटे किसी आने वाली गंभीर बीमारी का संकेत हो सकते हैं। इसलिए समय रहते इसकी पहचान करना जरूरी है।
तो चलिए, आज Fitness Secret में बात करेंगे कि लोगों को खर्राटे क्यों आते हैं? साथ ही जानेंगे कि-
- खर्राटे कौन सी बीमारियों का संकेत हो सकते हैं?
- इस समस्या से कैसे निजात पाया जा सकता है?
खर्राटे क्यों आते हैं?

Shocking Facts About Snoring
नींद के दौरान हमारी मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं। इस दौरान कई बार नाक के पीछे का एरिया (नासोफैरिंक्स) और मुंह के पीछे का एरिया (ओरोफैरिंक्स) की मसल्स सिकुड़ जाती हैं।
इसके कारण सांस लेने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है। इससे सांस लेने के दौरान आवाज के साथ सॉफ्ट टिश्यू और मसल्स वाइब्रेट होने लगती हैं, जो खर्राटे की वजह बनते हैं। आसान भाषा में कहें तो यह कोई बीमारी नहीं है। यह महज एक आवाज है, जो सोने के दौरान सांस के रास्ते में रुकावट की वजह से होती है।
दुनिया में हर 10 में से 4 लोग लेते हैं खर्राटे
- 40% पुरुष खर्राटे लेते हैं।
- 30% महिलाएं खर्राटे लेती हैं।
- 10-12% बच्चे खर्राटे लेते हैं।
यह समस्या मिडिल एज के लोगों को ज्यादा होती है।
किन लोगों को खर्राटे लेने की समस्या ज्यादा होती है।

Shocking Facts About Snoring
खर्राटे लेने की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा अधिक होता है। जैसेकि-
- 40 से 60 की उम्र के बीच के लोगों को।
- मोटापे की समस्या से ग्रसित लोगों को।
- नाक और गले की समस्या से पीड़ित लोगों को।
- स्मोकिंग या शराब पीने वाले लोगों को।
- अनिद्रा से पीड़ित लोगों को।
क्या खर्राटे आना किसी बीमारी का संकेत है?

Shocking Facts About Snoring
नींद में ज्यादा खर्राटे लेने का अर्थ ये है कि शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। साथ ही शरीर के नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी से भी खर्राटे आ सकते हैं। खर्राटे लेने वाले लोगों को स्लीप एप्निया भी हो सकता है। इस दौरान मसल्स इतनी शिथिल हो जाती हैं कि वे सांस नली में रुकावट पैदा कर देती हैं। इसके अलावा खर्राटे हार्ट डिजीज का भी संकेत देते हैं।
खर्राटे हो सकते हैं इन बीमारियों का संकेत
- हार्ट डिजीज
- हाइपोथायराइडिज्म
- मोटापा
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया
- साइनस की समस्या
खर्राटे के साथ सांस रूकना कितना खतरनाक है?
अगर कोई व्यक्ति खर्राटे के साथ अचानक नींद से उठ जाता है या फिर एकाएक चौंक जाता है तो यह स्लीप एप्निया का संकेत हो सकता है। इसमें शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई कम होने लगती है। इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
क्या खर्राटे की समस्या से निजात पाया जा सकता है?
अगर कोई व्यक्ति सोते समय खर्राटे लेता है तो यह न केवल उसकी हेल्थ के लिए बल्कि पास सो रहे व्यक्ति की नींद को भी खराब करता है। इसलिए इस समस्या से छुटकारा पाना जरूरी है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अनिमेष आर्य ने खर्राटे से छुटकारा पाने के कुछ उपाय बताए हैं।
खर्राटों से हैं परेशान ये आसान उपाय दिलाएंगे राहत
- खाना खाने के बाद तुरंत न लेटें । कुछ देर जरूर टहलें ।
- अगर आपका वजन ज्यादा है तो उसे कम करें।
- सिगरेट और शराब से दूरी बनाएं।
- पीठ के बल सोने के बजाय करवट लेकर सोएं।
- सोने से पहले हैवी खाना खाने से बचें।
- सिर के नीचे तकिया लगाकर सोएं।
- बिस्तर पर जाने से पहले
- अपनी नाक साफ करें।
खर्राटे और स्लीप एप्निया में क्या अंतर क्या है?
अगर कोई व्यक्ति खर्राटे ले रहा है और उसे सांस रुकने की समस्या नहीं हो रही है तो यह सामान्य स्थिति है। यह स्लीप एप्निया नहीं है। वहीं अगर खर्राटे के साथ कुछ संकेत दिखाई दें तो स्लीप एप्निया हो सकता है। जैसेकि-
- सोते समय सांस में रुकावट या घुटन महसूस होना।
- सुबह उठने के बाद कुछ देर तक सिरदर्द बना रहना।
- नींद के दौरान सांस रुकने की वजह से बार-बार जागना।
- खर्राटों की आवाज सामान्य से तेज होना।
- सुबह उठने के बाद मुंह या गला सूखा हुआ महसूस होना।
क्या स्लीप एप्निया की वजह से किसी की जान भी जा सकती है
सोते समय सांस रुकने के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। इससे दिल, दिमाग और अन्य अंगों पर गंभीर असर पड़ सकता है। नींद के दौरान बॉडी में ऑक्सीजन लेवल कम होने से हार्ट पर दबाव पड़ता है। ऐसे में स्लीप एप्निया मरीजों में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो ये जानलेवा भी हो सकता है।
अगर सोते समय खर्राटे के साथ सांस रुक रही है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
अगर किसी व्यक्ति की नींद खर्राटे के साथ टूट रही है तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। इसके लिए डॉक्टर एक स्लीप टेस्ट करते हैं। इसमें रात में सोते समय एक मशीन लगाकर देखा जाता है कि व्यक्ति की नींद कितनी बार टूट रही है। उसके शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई कब कम हुई है। कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल कब बढ़ा है। इसी टेस्ट के रिजल्ट के अनुसार ट्रीटमेंट किया जाता है।
तो दोस्तों ये थी हमारी एक इंट्रेस्टिंग वीडियो आशा करता हूं आपको यह वीडियो जरूर पसंद आई होगी इसीलिए प्लीज इसे लाइक करें, हमारे चैनल Fitness Secret को सब्सक्राइब जरूर करें और Visit on Health Darbar
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