Table of Contents Signs of Fiber Deficiency
दोस्तो, Fiber का सीधा कनेक्शन हमारे पाचन क्रिया से ही होता है और जब तक कि पाचन ठीक न हो। अच्छी फिटनेस, शरीर में फुर्ती और ताकत, साफ और ग्लोइंग स्किन और शरीर से बढी हुई चर्बी को घटा पाना बिलकुल भी पॉसिबल नहीं है। क्योंकि जिस तरह से हमारे शरीर को प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स और दूसरे न्यूट्रिएंट्स की जरूरत पड़ती है उसी तरह फाइबर भी शरीर को ठीक तरह से काम करने के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि आजकल लोग जिस तरह का खाना खाते हैं उसमें अक्सर ही फाइबर की बहुत ही कमी पाई जाती है। जिसकी वजह से समय के साथ साथ पाचन क्रिया कमजोर होने लगती है और खून में भी अशुद्धियां बढ़ने लगती है जिससे कि शरीर का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है और कई तरह की नई नई बीमारियां शुरू होने लगती हैं। इसलिए आज के इस विडियो में हम जानेंगे कि आखिर फाइबर होता क्या है। इसकी कमी होने से शरीर में कौन कौन सी समस्या शुरू होने लगती है। दिनभर में हमारे शरीर को कितने फाइबर की जरूरत होती है, इसकी कमी को किन किन खानों के जरिए पूरा किया जा सकता है।
दोस्तों किसी भी खाने में जो रेशे और छिलके होते हैं उसे ही Fiber कहा जाता है। Example के तौर पर जो एक सेब होता है उसमें रस के साथ साथ फाइबर भी होता है जो कि रेशे और छिलके के रूप में मौजूद होता है और जब उसी सेब का जूस निकाल कर छानते हैं तो रस एक गिलास में अलग निकल जाता है और छलनी में कुछ रेशे वेस्ट के रूप में जमा हो जाता है। दरअसल यही फाइबर होता है जिसे बेकार पदार्थ समझकर यूं ही फेंक दिया जाता है। लेकिन किसी भी खाने में फाइबर भी दो तरह के होते हैं। एक तो शरीर में जाने के बाद खून में पहुंचकर ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को मेंटेन करता है, जिसे सॉल्युबल फाइबर कहा जाता है और दूसरा फाइबर वो होता है जो पाचन को बेहतर बनाने, कब्ज की समस्या होने से रोकने और शरीर में बनने वाले जहरीले पदार्थ को स्टूल यानी मल के जरिए शरीर से बाहर निकालने का काम करता है।
अब बात आती है कि हमारे शरीर को दिनभर में कितने फाइबर की जरूरत होती है। दोस्तों Female के शरीर को दिनभर में 20 से 25 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है। जबकि Male के लिए दिनभर में 30 से 35 ग्राम फाइबर अपने खाने के जरिए पूरा करना बहुत जरूरी होता है।
अब बात आती है कि शरीर में फाइबर Deficiency होने से कौन कौन सी समस्या शुरू होने लगती है। दोस्तों जब भी शरीर में फाइबर की कमी होती है तो हमारा शरीर उसे अलग अलग तरीके से बताने की कोशिश करता है
कब्ज

Signs of Fiber Deficiency
खाने में फाइबर (Fiber) की कमी से पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है, जिससे कब्ज की समस्या उत्पन्न होती है। जब हम फाइबर युक्त आहार नहीं लेते, तो छोटी आंत भोजन से लगभग सभी पोषक तत्व खींच लेती है, और बडी आंत में वेस्ट पदार्थ बहुत कम मात्रा में पहुंचता है। इससे प्रेशर सही से नहीं बनता और मल कठोर होकर बाहर निकलने में परेशानी होती है। वहीं, पर्याप्त फाइबर युक्त भोजन लेने से वेस्ट पदार्थ ज्यादा मात्रा में बनता है, जिससे सुबह पेट अच्छी तरह साफ होता है। पानी की कमी भी कब्ज को बढ़ा सकती है, क्योंकि यह मल को सूखा और कठोर बना देता है। इसलिए, संतुलित मात्रा में फाइबर युक्त आहार और पर्याप्त पानी का सेवन करना कब्ज से बचाव और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।
ब्लड शुगर फ्लक्चुएशन

Signs of Fiber Deficiency
ब्लड शुगर फ्लक्चुएशन जिसका मतलब है कि खून में शुगर की मात्रा एकदम से बढ़ जाना और फिर तुरंत एकदम से कम हो जाना। क्योंकि जब कोई व्यक्ति बिना फाइबर वाले खाने का इस्तेमाल करता है तो उसमें मौजूद शुगर, कार्बोहाइड्रेट और दूसरी कैलरीज तुरंत खून में पहुंचकर ब्लड शुगर को इनक्रीज कर देता है। जबकि फाइबर वाले खाने का इस्तेमाल करने से ये शरीर में धीरे धीरे अब्जॉर्ब होता है और ब्लड शुगर को अचानक से इनक्रीज भी नहीं करता। और यही वजह है कि डायबिटीज वाले लोगों को डॉक्टर हाई फाइबर फूड खाने की सलाह देते हैं।
हाई कोलेस्ट्रॉल

Signs of Fiber Deficiency
हाई कोलेस्ट्रॉल तो खाने में मौजूद सॉल्युबल फाइबर पाचन क्रिया के दौरान ब्रेकडाउन हो जाता है और फिर खून में पहुंचकर कोलेस्ट्रॉल को मेंटेन रखने में बहुत मदद करता है। इसलिए खाने में फाइबर की कमी होने से शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढने के भी चांसेस बहुत ज्यादा रहते हैं। हालांकि कोलेस्ट्रॉल बढने की दूसरी वजह खाने में बहुत ज्यादा तेल और फैट का इस्तेमाल करना और फिजिकल एक्टिविटी बिल्कुल भी न करना भी हो सकता है।
स्किन प्रॉब्लम

Signs of Fiber Deficiency
स्किन प्रॉब्लम दोस्तों बिना फाइबर वाले खाने का लगातार इस्तेमाल करने से खून में शुगर की मात्रा बढ़ती है जिससे कि इंसुलिन और शरीर के हॉर्मोन्स पर भी बुरा असर डालता है और यह वज़ह है कि जो लोग ज्यादातर बिना फाइबर वाले खाने का इस्तेमाल करते हैं, उनमें एक्ने और पिंपल्स की प्रॉब्लम ज्यादातर देखने को मिलती है। हालांकि पिंपल्स की प्रॉब्लम होने के और भी कई कारण होते हैं, जिसके बारे में मैं पहले ही डिटेल में वीडियो बना चुका हूं। लेकिन उन सब में खाने में फाइबर की कमी होना भी एक बहुत बड़ा कारण होता है।
मोटापा

Signs of Fiber Deficiency
शरीर में चर्बी बढ़ने की सबसे बड़ी वजह अधिक मात्रा में शुगर, कार्बोहाइड्रेट और फैट का सेवन करना है, क्योंकि ये पोषक तत्व जरूरत से ज्यादा होने पर शरीर में फैट के रूप में जमा हो जाते हैं। खासतौर पर जब ऐसे भोजन में फाइबर की कमी होती है, तो चर्बी बढ़ने की प्रक्रिया और भी तेज हो जाती है। इसका कारण यह है कि बिना फाइबर वाला भोजन शरीर में पहुंचने के बाद उसमें मौजूद कैलोरीज़ तुरंत खून में घुल जाती हैं। इनमें से कुछ कैलोरीज़ सांस लेने, बात करने और शारीरिक गतिविधियों में उपयोग होती हैं, लेकिन अगर व्यक्ति ज्यादा मेहनत वाला काम नहीं करता, तो अतिरिक्त कैलोरीज़ शरीर में फैट के रूप में जमा होने लगती हैं, जिससे मोटापा बढ़ता है। इसके विपरीत, फाइबर युक्त भोजन कैलोरीज़ के अवशोषण को नियंत्रित करता है और धीरे-धीरे उतनी ही ऊर्जा रक्त प्रवाह में रिलीज करता है, जितनी शरीर को आवश्यकता होती है। यही कारण है कि जब भी फिटनेस या फैट लॉस की बात आती है, तो हाई-फाइबर फूड को आहार में प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में मोटापा जेनेटिक कारणों, किसी बीमारी या मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के कारण भी हो सकता है।
फाइबर हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन आजकल की खान-पान की आदतों के कारण ज्यादातर लोगों में इसकी कमी पाई जाती है, जिससे कब्ज, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। कुछ खाद्य पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, बिस्किट, मैदे से बनी चीजें, मिठाइयाँ, कोल्ड ड्रिंक्स और पैकेज्ड फूड्स में फाइबर बिल्कुल नहीं होता, जबकि इनमें शुगर और फैट की मात्रा अधिक होती है, जिससे सेहत को नुकसान पहुंचता है। हालांकि, हमें इन चीजों को पूरी तरह छोड़ने की जरूरत नहीं, बल्कि संतुलित मात्रा में और सही समय पर सेवन करना चाहिए।
फाइबर बेस्ड फूड्स को तीन कैटेगरी में बांटा जा सकता है। पहली कैटेगरी में हाई-फाइबर फूड्स आते हैं, जिनमें दालें, ओट्स, ब्राउन राइस, पालक, ब्रोकली, मटर, गाजर, चुकंदर, सेब, केला, अमरूद, कीवी और नाशपाती जैसे फल और सब्जियां शामिल हैं। ये खाद्य पदार्थ अपने आप में फाइबर से भरपूर होते हैं और इन्हें अकेले भी खाया जा सकता है। दूसरी कैटेगरी में वे खाद्य पदार्थ आते हैं, जिनमें फाइबर होता तो है, लेकिन अक्सर उसे हटा दिया जाता है, जैसे बिना छिलके का आलू और महीन आटे से बनी रोटी। इन्हें यदि सही तरीके से खाया जाए, तो इनका पोषण मूल्य बढ़ सकता है। तीसरी कैटेगरी में वे चीजें आती हैं जिनमें फाइबर बिल्कुल नहीं होता, जैसे सफेद चावल, मांस, मछली, अंडा और डेयरी प्रोडक्ट्स। इन चीजों को संतुलित करने के लिए इनके साथ फाइबर युक्त सब्जियां या सलाद खाना चाहिए ताकि पोषण संतुलन बना रहे।
फाइबर की कमी से बचने के लिए हमें अपनी थाली को बैलेंस करना जरूरी है। जब भी रोटी, चावल, मांस या मछली का सेवन करें, तो उनके साथ फाइबर युक्त सब्जियां या सलाद जरूर लें। हर मील में कम से कम एक फाइबर रिच फूड को शामिल करने की आदत डालें और स्नैक्स में साबुत फल, नट्स या बीजों का उपयोग करें। साथ ही, फाइबर शरीर में पानी को सोखता है, जिससे पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है, लेकिन अगर पानी की मात्रा कम हो जाए, तो फाइबर कब्ज का कारण भी बन सकता है। इसलिए, रोज़ाना 2.5 से 3 लीटर पानी पीना बेहद जरूरी है। कुल मिलाकर, सही खान-पान और संतुलित आदतों को अपनाकर हम फाइबर की कमी को आसानी से पूरा कर सकते हैं और स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हैं।
मैंने फाइबर वाली जो भी खाने की चीजें बताया है उसमें किस खाने में कितना फाइबर होता है ये आप गूगल में सर्च करके भी देख सकते हैं या अगर आप चाहेंगे तो मैं कोशिश करूंगा कि किस खाने में कितना फाइबर होता है। इस बारे में भी एक अलग से ही वीडियो बना दो।
तो दोस्तों ये थी हमारी एक इंट्रेस्टिंग वीडियो आशा करता हूं आपको यह वीडियो जरूर पसंद आई होगी इसीलिए प्लीज इसे लाइक करें, हमारे चैनल Fitness Secret को सब्सक्राइब जरूर करें और Visit on Health Darbar
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